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बिन्‍नी ने कहा,मंत्री पद नहीं दिये जाने से नाराज नहीं

नयी दिल्ली : आज सुबह नाराज विधायक विनोद कुमार बिन्‍नी खुलासा करने की बात से पलट गये हैं. उन्‍होंने कहा कि मैं मंत्री पद नहीं दिये जाने से नाराज नहीं हूं. बिन्‍नी ने कहा कि मैं शादी में जाने के लिए बैठक छोड़कर बाहर निकला था. आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, […]

नयी दिल्ली : आज सुबह नाराज विधायक विनोद कुमार बिन्‍नी खुलासा करने की बात से पलट गये हैं. उन्‍होंने कहा कि मैं मंत्री पद नहीं दिये जाने से नाराज नहीं हूं. बिन्‍नी ने कहा कि मैं शादी में जाने के लिए बैठक छोड़कर बाहर निकला था.

आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, विनोद कुमार बिन्‍नी पद के लालची नही हैं. उन्‍होंने कहा अगर बिन्‍नी की जगह मैं होता तो मैं भी अपना फोन बंद कर देता. योगेंद्र यादव ने बिन्‍नी की वकालत करते हुए कहा कि जब ‘आप’ के साथ कोई नहीं था उस समय विनोद ने साथ दिया है.

सूत्रों के अनुसार कल आधी रात तक विनोद के साथ कुमार विश्वास और संजय सिंह की बैठक हुई जिसके बाद ही विनोद के तेवर कुछ नरम हुए हैं. बताया जा रहा है कि बैठक से नाराज होकर निकलने के बाद देर रात कुमार विश्वास और संजय सिंह ने विनोद से जाकर मुलाकात की और उनकी नाराजगी दूर की.

गौरतलब हो की कैबिनेट में विनोद बिन्नी के नाम नहीं होने से नाराज होकर केजरीवाल के घर से निकले और कहा था कल(बुधवार) को वे प्रेस कॉफ्रेंस कर बड़ा खुलासा करेंगे.

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के घर मंगलवार को हुई बैठक में कैबिनेट पर चर्चा हुई. इसमें छह नाम निकल कर सामने आये हैं. हालांकि अभी इनके नामों की औपचारिक घोषणा बाकी है. केजरीवाल के मंत्रिमंडल में मनीष सिसोदिया, सोमनाथ भारती, राखी बिरला, गिरीश सोनी, सौरभ भारद्वाज, सत्येन्द्र जैन को मंत्री बनाया जाना तय हो चुका है, केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस के किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया जाएगा.

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बिन्‍नी ने कहा,मंत्री पद नहीं दिये जाने से नाराज नहीं 2


वहींसूत्रों के अनुसार सरकार पर अभी तक राष्‍ट्रपति की चिट्ठी नहीं मिली है. आज क्रिसमस की छुट्टी इसलिए 26 को केजरीवाल के शपथ ग्रहण को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.ऐसा माना जा रहा है कि अरविन्द केजरीवाल ने अपने मंत्रियों के नाम तय कर लिए हैं जिसमें उनके विश्वासी मनीष सिसोदिया सहित छह लोग शामिल हैं. इस सप्ताह होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में ये लोग केजरीवाल के साथ ही शपथ लेंगे.पटपड़गंज विधानसभा सीट से जीत हासिल करने वाले पूर्व पत्रकार सिसोदिया के अलावा कैबिनेट में राखी बिड़ला, सोमनाथ भारती, सौरभ भारद्वाज, गिरिश सोनी और सतेन्द्र जैन शामिल होंगे. इस चुनाव में राखी बिड़ला ने लोक निर्माण विभाग मंत्री राजकुमार चौहान और सोमनाथ भाटी ने महिला एवं बाल विकास मंत्री किरण वालिया को हराकर यह स्थान बनाया है. केजरीवाल के साथ बैठक के बाद भारद्वाज ने यह जानकारी दी.

हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि टीम के संबंध में अंतिम फैसले से पहले कुछ बदलाव हो सकते हैं. शपथ ग्रहण समारोह के स्थान के संबंध में उपराज्यपाल नजीब जंग के प्रस्ताव को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के मंजूरी मिलने के बाद केजरीवाल रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं.केजरीवाल ने आज पूरे दिन सिसोदिया सहित पार्टी के अन्य नेताओं से इस संबंध में अपने आवास पर बातचीत की. इसबीच ऐसा माना जा रहा है कि केजरीवाल ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेन्द्र कुमार को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के पद के लिए चुना है.

केजरीवाल की भांति ही 47 वर्षीय कुमार आईआईटी-कानपुर के छात्र रहे हैं. कुमार अभी उच्च शिक्षा सचिव के पद पर हैं. कुमार ने यहां केजरीवाल के आवास पर उनसे भेंट की. मुख्य सचिव डीएम सपोलिया ने भी उनसे मुलाकात की. ऐसा कहा जा रहा है कि यह औपचारिक भेंट थी. बिड़ला, भारती, जैन और सोनी ने भी केजरीवाल से भेंट की.



कैबिनेट में इन 6 चेहरों को जगह

मनीष सिसोदिया, उम्र 41 साल, पत्रकार

सौरभ भारद्वाज- उम्र 34 साल, इंजीनियर

सोमनाथ भारती- उम्र 39 साल, वकील

सत्येन्द्र जैन- उम्र 49 साल, आर्किटेक

राखी बिरला- उम्र 26 साल, पत्रकार

गिरीश सोनी – उम्र 49 साल, जनवादी सभा से जुड़े रहे
केजरीवाल के शपथ ग्रहण में नहीं शामिल होंगे अन्ना
दिल्‍ली में केजरीवाल सरकार बनाने जा रहे हैं, लेकिन उनके अपने लोग ही शपथ ग्रहण का विरोध कर रहे हैं. केजरीवाल से नाराज चल रहे अन्‍ना हजारे ने शपथ ग्रहण समारोह में जाने से मना कर दिया है. हालांकि अन्‍ना ने समारोह में नहीं जाने का कारण खराब तबीयत बताया है. उन्‍होंने कहा कि अभी तक आप की ओर से निमंत्रण भी नहीं मिला है.

बहरहाल राष्‍ट्रपति ने आज दिल्‍ली में सरकार गठन को लेकर मंजूरी दे दी है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इसकी सूचना गृहमंत्रालय को दे दी है.इधर आम आदमी पार्टी ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए किसी भी पार्टी को अपनी ओर से आमंत्रित नहीं किया है. पार्टी की ओर से फैसला लिया गया है कि शपथ ग्रहण समारोह जनता के बीच किया जाएगा.कार्यक्रम के लिए किसी भी तरह के पास नहीं बनाये गये हैं.

सूत्रों के अनुसार शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी विधायकों के परिवार वाले साथ में बैठेंगे. समारोह स्‍थल पर किसी को भी प्रवेश के लिए मनाही नहीं होगी. अरविंद केजरीवाल ने कहा समारोह में किसको बुलाना है किसे नहीं यह उपराज्‍यपाल के ऊपर छोड़ दिया गया है. इधर आम आदमी पार्टी की ओर से सरकार बनाने पर इच्छा जाहिर किए जाने के बाद दिल्ली के मुख्य सचिव ने उनके शपथ ग्रहण की तैयारियों के लिए आज वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई है.

उत्तर दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) से जुड़े सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल ने उप राज्यपाल नजीब जंग के सामने इच्छा व्यक्त की है कि वह उसी एतिहासिक स्थल पर शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करना चाहते हैं, जहां भ्रष्टाचार विरोधी नायक अन्ना हजारे ने जन लोकपाल विधेयक पारित किए जाने की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था. ऐसे में 26 दिसंबर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के लिए निगम अधिकारियों से मध्य दिल्ली स्थित रामलीला मैदान को तैयार करने के लिए कहा गया है.

एनडीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई से कहा, रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों पर चर्चा के लिए मुख्य सचिव ने कल सुबह एक बैठक बुलाई है. एनडीएमसी के आयुक्त को भी इसमें शामिल होने के लिए कहा गया है. इस बीच, दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने आज रामलीला मैदान की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जरुरी चीजों की पहचान के लिए आज इसका मुआयना किया.

दिल्ली पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पुलिस मुख्यालय एवं केंद्रीय स्तर के अधिकारियों के एक दल ने समारोह स्थल की सुरक्षा जरुरतों का जायजा लेने के लिए आज अपराह्न तीन बजे के करीब रामलीला मैदान का दौरा किया.

* दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करने के लिए पूरी तरह तैयार केजरीवाल
दिल्ली के हालिया विधानसभा चुनाव में पिछले तीन बार से राज्य की मुख्यमंत्री रही कांग्रेस नेता शीला दीक्षित को बाहर का रास्ता दिखाने वाले अरविंद केजरीवाल यहां के सातवें मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार ग्रहण करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

45 वर्ष की उम्र में यह पदभार ग्रहण करने वाले केजरीवाल दिल्ली के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे, जबकि उनकी पूर्ववर्ती शीला दीक्षित के सर पर भारत की सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहने वाली महिला का ताज जाएगा. कांग्रेस नेता चौधरी ब्रह्म प्रकाश के नेतृत्व वाली मंत्रियों की परिषद के साथ 7 मार्च, 1952 को दिल्ली राज्य विधानसभा अस्तित्व में आया था. वर्ष 1955 तक वह इस पद पर बने रहे. वर्ष 1952 की विधानसभा में कुल 48 सदस्य थे. प्रकाश के बाद पार्टी सहयोगी जी एन सिंह इस पद पर आसीन हुए, जो वर्ष 1956 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे.

हालांकि इसके बाद वर्ष 1956 में दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया, जो वर्ष 1993 तक जारी रहा. वर्ष 1993 में यहां एक बार फिर से विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें भाजपा के सर पर जीत का सेहरा बंधा और मदनलाल खुराना इसके मुख्यमंत्री बने.

इस दौरान पांच वर्षों के कार्यकाल में खुराना तीन वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे. उनके बाद वर्ष 1996 में पार्टी सहयोगी साहिब सिंह वर्मा (1996-1998) और सुषमा स्वराज यहां की मुख्यमंत्री बनीं. हालांकि स्वराज का कार्यकाल एक महीने से कुछ ही अधिक समय तक रहा, जिसके बाद यहां दोबारा चुनाव हुए.

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