नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल गोलीबारी में शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा और उसके भाई हरदीप की मौत के सिलसिले में गिरफ्तार उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख एस एस नामधारी एवं 21 अन्य के खिलाफ आरोप निर्धारण पर अपना आदेश आज 13 जनवरी के लिए टाल दिया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विमल कुमार यादव ने कहा, आदेश के लिए 13 जनवरी, 2014 को आईए. उन्होंने कहा कि वह आदेश नहीं लिख सकते क्योंकि इस मामले से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण सीडी गायब थीं और वह आज ही उन्हें ढूढ़ पाए. चौदह दिसंबर को अदालत ने आज के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. उससे पहले दिल्ली पुलिस और 22 आरोपियों ने आरोप निर्धारण पर दलीलें पूरी की थीं.
दिल्ली पुलिस के वकील ने अदालत में दावा किया था कि पोंटी, नामधारी और उसके पीएसओ सचिन त्यागी अपने गुर्गे के साथ मिलकर हरदीप के कब्जे से किसी भी तरीके से उसका फार्महाउस लेने और उसे मार डालने की साजिश रची थी. उधर, नामधारी एवं अन्य ने जांच एजेंसी के आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि वे लोग निदरेष हैं और उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है.
संपत्ति विवाद में उलङो पोंटी और हरदीप पिछले साल नवंबर में यहां छत्तरपुर के एक फार्महाउस में गोलीबारी में मारे गए थे. बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा था कि दोनों भाईयों के बीच आपस में बातचीत तक नहीं होती थी क्योंकि उनके बीच संपत्ति विवाद था.
अभियोजन पक्ष ने कहा था, विवाद 16 नवंबर, 2012 की रात तक हल नहीं हो पाया था, अतएव किसी भी तरीके से संपत्ति लेने की योजना बनायी गयी जिसमें दोनों भाई मारे गए. अभियोजन पक्ष के दावे का विरोध करते हुए नामधारी और अन्य ने दावा किया कि हरदीप ने ही फार्महाउस को अपने कब्जे में लेने के लिए दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी और कांग्रेस विधायक के साथ मिलकर साजिश रची थी जिसमें दोनों भाई मारे गए.
कुल 22 व्यक्तियों के खिलाफ हत्या के प्रयास, गंभीर जख्म पहुंचाने, डकैती, घातक हथियारों से दंगा फैलाने, अनधिकार प्रवेश, अपहरण, अवैध रुप से बंधक बनाने तथा सबूत नष्ट करने समेत विभिन्न अपराधों को लेकर आरोपपत्र दायर किया गया था. हरदीप और पोंटी के खिलाफ सुनवाई खत्म कर दी गयी क्योंकि वे गोलीबारी में मारे गए. हरदीप के खिलाफ अलग से प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
हरदीप के कब्जे से विवादास्पद जमीन लेने का प्रयास करने को लेकर पोंटी समेत बाईस आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, साझी मंशा और हथियार कानून की धाराएं भी लगायी गयी थीं. प्रथम आरोपपत्र में पोंटी का नाम बतौर आरोपी था क्योंकि वह दक्षिण दिल्ली के इस फार्म हाउस को अपने कब्जे में लेने के लिए सुनियोजित साजिश के तहत नामधारी एवं अन्य के साथ घटनास्थल पर पहुंचा था. द्वितीय पूरक आरोप में इस मामले में हरदीप पर आरोप लगाया गया और कहा गया कि जांच के दौरान पता चला कि पोंटी अपने भाई द्वारा चलाई गई गोली से मारा गया.