नई दिल्ली : वर्ष 2013 में जहां संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई और अब्दुल करीम टुंडा तथा यासीन भटकल जैसे दुर्दान्त आतंकवादियों को पकड़ने में सफलता मिली वहीं हैदराबाद, बोध गया और पटना में हुए विस्फोटों ने एक बार फिर आतंकवादियों के नापाक इरादे जाहिर किए.
संसद पर 2001 में हुए हमले के दोषी अफजल गुरु को 9 फरवरी को नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई. फांसी के बाद उसे जेल परिसर में ही दफन कर दिया गया. गुरु दस साल तिहाड में बंद रहा. उसे वर्ष 2002 में फांसी की सजा सुनायी गयी थी. विशेष अदालत के इस फैसले को 2005 में उच्चतम न्यायालय ने सही ठहराया था. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 43 वर्षीय गुरु की दया याचिका 3 फरवरी को ठुकरा दी थी. संसद परिसर में 13 दिसंबर 2001 को पांच आतंकवादियों ने घुस कर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें नौ लोग मारे गये थे.
फरवरी माह में ही हैदराबाद आतंकी हमले से दहल उठा. 21 फरवरी की रात हैदराबाद के बेहद व्यस्त दिलसुखनगर इलाके में हुए आतंकवादी हमले में 13 लोगों की मौत हो गयी और 83 अन्य घायल हो गए. इलाके में एक के बाद एक दो शक्तिशाली आईईडी विस्फोट हुए. कोणार्क और वेंकटगिरी सिनेमाघरों के नजदीक सड़क किनारे बने ढाबे के बाहर दो साइकिलों में बांधकर रखे गये आईईडी में विस्फोट व्यस्त समय में हुआ और बड़ी संख्या में लोगों के मौजूद होने के कारण अफरातफरी मच गई.
आधिकारिक सूत्रों ने इस हमले के बारे में कहा कि संसद हमले में दोषी अफजल गुरु और मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को फांसी देने का बदला लेने के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह द्वारा संभावित हमले को लेकर 19 फरवरी से दो दिनों के लिए सामान्य अलर्ट जारी किया गया था.
उच्चतम न्यायालय ने 12 अप्रैल को एक दोषी खालिस्तानी आतंकवादी देविन्दर पाल सिंह भुल्लर की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने की अपील खारिज कर दी. बिहार का बोध गया 7 जुलाई को धमाकों से दहल गया. आतंकवादियों ने समन्वित हमले में बौद्धों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल बोध गया और महाबोधि मंदिर परिसर को कम तीव्रता वाले नौ सिलसिलेवार धमाकों से निशाना बनाया. इन धमाकों में दो बौद्ध भिक्षु घायल हो गए.विस्फोटों में महाबोधि मंदिर और बोधि वृक्ष को कोई क्षति नहीं हुई.
शहर और यूनेस्को के विरासत स्थल का दर्जा पाए मंदिर को निशाना बनाने के लिए सुबह साढ़े पांच बजे से पांच बजकर 58 मिनट के बीच 9 विस्फोट किए गए. विस्फोट के बाद दो बम भी मिले जो फट नहीं पाए थे. एक बम बुद्ध की 80 फुट उंची प्रतिमा के निकट पाया गया जबकि दूसरा बस स्टैंड के निकट पाया गया. भारत में सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों में से एक और माफिया सरगना दाउद इब्राहिम के करीबी अब्दुल करीम टुंडा को 16 अगस्त को भारत नेपाल सीमा पर गिरफ्तार किया गया.
बम बनाने में माहिर लश्कर ए तैयबा का यह आतंकवादी वर्षों से विभिन्न देशों में भागता फिर रहा था. 70 वर्षीय टुंडा को मुम्बई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का भी करीबी माना जाता है. उसके पास अब्दुल कदूस नाम से पाकिस्तान का पासपोर्ट था.