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जानिए, पूरा घटनाक्रम जेएनयू मामले ने कैसे पकड़ा तूल

जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) आज चर्चा में है. इस विश्वविद्यालय की चर्चा इसलिए नहीं हो रही कि यहां के किसी छात्र या शिक्षक ने शिक्षा के क्षेत्र में या किसी अन्य क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है, बल्कि इसलिए हो रही है कि क्योंकि यहां से अब राष्ट्रविरोधी नारों की आवाज रोज मीडिया […]

जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) आज चर्चा में है. इस विश्वविद्यालय की चर्चा इसलिए नहीं हो रही कि यहां के किसी छात्र या शिक्षक ने शिक्षा के क्षेत्र में या किसी अन्य क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है, बल्कि इसलिए हो रही है कि क्योंकि यहां से अब राष्ट्रविरोधी नारों की आवाज रोज मीडिया की सुर्खियां बन रहे हैं. सोशल मीडिया पर दो धड़े जमकर लड़ रहे हैं.

सोशल साइट से इतर छात्र संगठन के दो गुट जेएनयू परिसर और सड़क पर जमकर नारेबाजी कर रहे हैं. अब मामला राजनीतिक हो गया है. कांग्रेस और वाम दल खुलकर उन छात्रों के समर्थन में आ गये हैं जिन्होंने जेएनयू में अफजल गुरु की बरसी मनायी. वहीं भाजपा और एनडीए के घटक दल खुलकर जेएनयू में हुई घटना की निंदा कर रहे हैं. आइये जानते हैं कैसे इस मामले ने तूल पकड़ा.

कार्यक्रम के आयोजन को लेकर शुरू हुआ बवाल

संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की तीसरी बरसी पर जेएनयू के एक छात्र संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से एक कार्यक्रम के आयोजन की इजाजत मांगी. खबरों की मानें तो शुरू में विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी इजाजत दे दी. इस कार्यक्रम का नाम कश्मीरी कवि आगा शाहिद अली के काव्य संग्रह "बिना डाक-घर वाला देश" पर रखा गया. जब छात्र संगठन ने इसके प्रचार- प्रसार के लिए पोस्टर छपवाने शुरू किये और लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए प्रचार किया, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी इजाजत देने से इनकार कर दिया और कार्यक्रम पर रोक लगा दी. नाराज छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बगैर कार्यक्रम आयोजित किया. इसी आयोजन में छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भाषण दिया और कार्यक्रम के दौरान भारत के विरोध में नारे लगे. छात्रों की इस हरकत को किसी ने अपने कैमरे में सूट भी कर लिया. इस आयोजन में कई नारे लगे जिनमें सबसे ज्यादा आपत्तिनजक नारा था ‘कश्मीर की आजादी तक, भारत की बर्बादी जक जंग रहेगी, जंग रहेगी.’

एबीवीपी ने जताया विरोध , छात्र संघ के अध्यक्ष की हुई गिरफ्तारी

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस आयोजन के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरप्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद कन्हैया ने मीडिया से यह कहा कि वह भारत विरोधी नारों के पीछे नहीं है उसे फंसाया जा रहा है. उसने नारे नहीं लगाये. एबीवीपी ने कन्हैया की गिरफ्तारी के बाद अन्य छात्र जो इसमें शामिल थे उसकी गिरफ्तारी की मांग की.

कन्हैया की गिरफ्तारी के विरोध में निकली रैली, लगे नारे

छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के बाद कार्यक्रम आयोजित करने वाले समूह ने जमकर हंगामा किया. उन्होंने कन्हैया को निर्दोष बताते हुए उसे रिहा करने की मांग की. लेकिन इस विरोध प्रदर्शन में भी भारत के खिलाफ नारे लगे जिसका वीडियो भी वायरल हुआ.

सोशल मीडिया ने किया आग में घी का काम

9 फरवरी के आयोजन में छात्रों ने जो भारत विरोधी नारे लगाये उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. देशभक्ति और राष्ट्रविरोधी हैश टैग के साथ सट टाउन जेएनयू भी खूब वायरल हुआ. सोशल मीडिया पर छात्रों के दोनों गुटों ने एक दूसरे पर आरोप लगाये. दोनों गुटों की तरफ से वीडियो जारी किये गये जिसमें एक दूसरे पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने का आरोप लगाया गया.

मामले ने ले लिया राजनीतिक रंग

कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के बाद वाम दल खुलकर उसके समर्थन में आ गया. सीताराम येचुरी ने एक ट्वीट किया जिसमें लिखा कि छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है. इस तरह की घटना तो आपातकाल के दौरान हुई थी. दूसरी तरफ जेएनयू में कन्हैया की गिरफ्तारी के विरोध में छात्रों ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल होने पहुंचे. यहां एबीवीपी के छात्रों ने काले झंडे दिखाकर राहुल का विरोध किया राहुल गांधी “गो बैक” के नारे लगाये और मांग की गयी कि इस मामले को राजनीतिक ना बनाया जाये.

छात्रों के साथ-साथ बंट चुका है राजनीतिक दल

जेएनयू में हुए प्रकरण को लेकर न सिर्फ छात्र बल्कि जेएनयू के शिक्षक और राजनीतिक दल भी दो गुटों में बंट गये हैं. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस आंदोलन के पीछे हाफिद सईद के समर्थन की बात कही. मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भी छात्रों पर कड़ी कार्रवाई का समर्थन करते हुए कहा कि देश विरोधी नारे और भारत माता के अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. एनडीए के घटक दल भी राष्ट्रविरोधी बयान को लेकर कड़ी कार्रवाई के पक्ष में हैं ,तो दूसरी तरफ कांग्रेस समेत वाम दल जांच के बाद किसी नतीजे पर पहुंचने की सलाह दे रहे हैं. वाम दलों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की और वीडियो की पूरी तरह जांच के लिए सहयोग मांगा. वाम दलों ने कहा कि छात्र की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही, जो ठीक नहीं है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी साफ कर दिया कि सिर्फ भाजपा और आरएसएस की आवाज नहीं सुनी जायेगी. छात्रों को भी अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है.

मारपीट और धक्कामुक्की की आ गयी नौबत

कल कन्हैया को कोर्ट में पेश किया गया जहां उसकी हिरासत अवधि बढ़ा दी गयी. सुनवाई के बाद उसे संसद मार्ग थाने ले जाया गया. कोर्ट परिसर के बाहर जेएनयू के छात्र कन्हैया के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे. मीडिया में ऐसी खबरें आयीं हैं कि इसी दौरान मानहानि के मामले में सुनवाई के बाद लौट रहे अरुण जेटली और बीजेपी विधायक ओपी. शर्मा को देखकर किसी ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा दिये. इसके बाद ओपी शर्मा और उनके साथियों ने वाम दल के एक कार्यकर्ता को पकड़कर पीट दिया. कोर्ट के अंदर और बाहर भी वकीलों ने छात्रों के साथ बदसलूकी और मारपीट की.

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