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लोकपाल पर संसद की मुहर, कामयाब हुआ अन्ना का आंदोलन

नयी दिल्ली : भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर प्रावधानों वाले बहुचर्चित और दशकों से लंबित लोकपाल विधेयक संसद की आज मंजूरी मिल गयी. राज्यसभा मंगलवार को कुछ संशोधनों के साथ इसे पारित कर चुकी है और लोकसभा ने भी आज उन संशोधनों को समाहित करते हुए संशोधित विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकपाल और […]

नयी दिल्ली : भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर प्रावधानों वाले बहुचर्चित और दशकों से लंबित लोकपाल विधेयक संसद की आज मंजूरी मिल गयी. राज्यसभा मंगलवार को कुछ संशोधनों के साथ इसे पारित कर चुकी है और लोकसभा ने भी आज उन संशोधनों को समाहित करते हुए संशोधित विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.

लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक, 2011 दो साल से उच्च सदन में लंबित था जिसे कल रात राज्यसभा की मंजूरी मिलने के बाद लोकसभा ने भी आज उस पर अपनी मुहर लगादी. सपा ने हालांकि इस विधेयक को देश हित के विरुद्ध करार देते हुए चर्चा के दौरान सदन से वाकआउट किया.

प्रधानमंत्री के पद कुछ सुरक्षा प्रावधानों के साथ इस कानून के दायरे में लाने के साथ लोकसभा ने विधेयक पर लाये गये सभी सरकारी संशोधनों को ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया.लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी थी लेकिन राज्यसभा द्वारा नये सरकारी संशोधनों अपनाये जाने के कारण विधेयक पर निचले सदन आज दोबारा मंजूरी लेनी पड़ी.

गौरतलब है कि समाजसेवक अन्ना हजारे अपने गांव रालेगण सिद्धि में लोकपाल विधेयक संसद से पारित कराने की मांग पर अनशन पर थे. भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सदन में आज लोकपाल की जोरदार वकालत की.

विधेयक पारित कराए जाने की पूरी प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस के कुछ सदस्यों सहित सीमांध्रा क्षेत्र के कई दलों के सदस्य आसन के सामने आकर लगातार नारे लगाते रहे.


अब बिल को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हेतु भेजा जायेगा, उसके बाद यह बिल कानून बन जायेगा. कल राज्यसभा ने 15 संशोधनों के साथ इस बिल को पारित कर दिया था और आज लोकसभा ने भी इस बिल को पास कर दिया.

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विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल ने कहा, उन्हें खुशी है कि 45 साल से जो नहीं हुआ, वह आज होने जा रहा है. इंदिरा गांधी के समय 1968 में ऐसा विधेयक लाने की शुरुआत हुई थी और आज इसे पारित करके हमें इतिहास बनाने का अवसर मिला है.

उन्होंने शीतकालीन सत्र की अवधि और बढाने की मांग की ताकि छह और विधेयक पारित किये जा सकें, जो भ्रष्टाचार रोधी व्यापक ढांचे के तहत हैं.

राहुल ने कहा कि लोकपाल विधेयक ही अकेले भ्रष्टाचार से लडने के लिए काफी नहीं है. हमें भ्रष्टाचार रोधी व्यापक संहिता की आवश्यकता है. संप्रग सरकार ने भ्रष्टाचार रोधी ढांचा तैयार किया है.

उन्होंने कहा कि संप्रग ने आरटीआई लाकर भ्रष्टाचार पर पहली बडी चोट की थी. हमें सत्र संपन्न होने से पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई में अधूरे पडे कार्य को पूरा करना चाहिए. भ्रष्टाचार रोधी छह विधेयक (4 लोकसभा में और 2 राज्यसभा में) लंबित हैं. आवश्यकता हो तो क्या हम इस सत्र की अवधि नहीं बढा सकते.

राहुल ने कहा कि लोकपाल विधेयक इसी व्यापक ढांचे का हिस्सा है. भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन विधेयक, उत्पाद एवं सेवाओं की समयबद्ध आपूर्ति का नागरिकों का अधिकार, सार्वजनिक खरीद, विदेशी रिश्वत, न्यायिक जवाबदेही और व्हिसल ब्लोअर विधेयक लंबित हैं.

नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन इसका श्रेय लेने के लिए कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि इस देश की जनता को जाना चाहिए और उस बूढे को जाना चाहिए, जो भूखा होकर देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने की लडाई लड रहा है.

कांग्रेस की ओर से इस विधेयक को पारित कराने का श्रेय राहुल को दिये जाने के बीच उन्होंने कहा कि किसी को इसका श्रेय देने की होड में नहीं पडना चाहिए. जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि वह विधेयक का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि वह सरकार के कामकाज में और बाधाएं नहीं पैदा करना चाहते.

उन्होंने लोकपाल विधेयक को लेकर कुछ आपत्तियां प्रकट कीं. इनमें प्रधानमंत्री को लोकपाल के तहत लाने के प्रावधान शामिल है. ऐसा करके प्रधानमंत्री की जवाबदेही संसदन के प्रति नहीं होगी बल्कि कहीं और होगी. बसपा के दारा सिंह चौहान ने कहा कि इस विधेयक का श्रेय लेने की होड मची है. ये भी एक तरह का भ्रष्टाचार है.

उन्होंने कहा कि कोई भी नीति अच्छी होने के बावजूद तब तक बेकार है, जब तक उसका कार्यान्वयन अच्छी नीयत से न किया जाए.

विधेयक पर चर्चा शुरु होने से पहले तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि राज्यसभा द्वारा पारित विधेयक की प्रतियां लोकसभा सदस्यों को आज ही उपलब्ध करायीं गयीं. नियमों के तहत सदस्यों को दो दिन का नोटिस मिलना चाहिए.

इस पर अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि उन्होंने दो दिन की आवश्यकता को समाप्त करने की सहमति दी थी और विधेयक आज सुबह ही सदन पटल पर रखा गया. विधेयक पर चर्चा के दौरान तेलंगाना समर्थक और विरोधी आसन के सामने नारेबाजी करते रहे.तेलंगाना और सीमांध्र से तेदेपा और कांग्रेस के सदस्य अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते रहे.

अन्‍ना का अनशन खत्‍म

जनलोकपाल लोकसभा में पारित होने के साथ की अन्‍ना हजारे ने अनशन खत्‍म कर दिया है. अन्‍ना हजारे नौ दिनों से जनलोकपाल की मांग को लेकर रालेगण में अनशन पर बैठे थे.अन्ना ने आज रालेगण सिद्धि में कहा कि लोकसभा ने लोकपाल बिल पास कर दिया यह खुशी की खबर है. आज हम जनहित से जुडे एक कानून को बनाने की ओर बढे हैं. उन्होंने इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा के उन सांसदों को बधाई दी, जिन्होंने बिल का समर्थन किया.

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