मुंबई : मुंबई में विशेष मकोका अदालत ने सीबीआइ को 2011 में हुए जे डे हत्याकांड मामले में इंडोनेशिया से देश वापस भेजे गए गैंगस्टर छोटा राजन से पूछताछ की इजाजत दे दी है.
विशेष न्यायाधीश एएल पनसारे ने मामले की सुनवाई पांच फरवरी के लिए स्थगित करते हुए अंडरवर्ल्ड सरगना राजन से दस दिनों तक पूछताछ की सीबीआई को अनुमति दे दी. यह पूछताछ 27 जनवरी से शुरू होगी.
दिल्ली के तिहाड़ जेल से वीडियो लिंक के जरिए पेश हुए राजन ने अदालत को बताया कि उसे आरोपपत्र मिला है और इसके अध्ययन के लिए उसे समय चाहिए. राजन ने अदालत को बताया, ‘‘मुझे जेल के भारी सुरक्षा वाले प्रकोष्ठ में रखा गया है और मुझे सप्ताह में केवल एक बार बाहर निकाला जाता है और आरोप पत्र के अध्ययन तथा मुंबई में एक वकील रखने के लिए मुझे 15 दिन से लेकर एक महीने के समय की जरूरत है.’ गैंगस्टर के बयान पर न्यायाधीश पनसारे ने उसे सूचित किया कि उसके वकील अंशमान सिन्हा अदालत में मौजूद थे.
राजन को आरोपपत्र की प्रति उपलब्ध नहीं कराने के लिए सात जनवरी को अदालत ने मुंबई पुलिस को फटकार लगाई थी.
न्यायाधीश ने पूछा था, ‘‘अबतक ऐसा क्यों नहीं किया गया? आप किस बात के इंतजार में हैं… हर चीज के लिए आप आदेश का इंतजार क्यों करते हैं?’ बाद में उन्होंने राजन को आरोपपत्र उपलब्ध कराने का पुलिस को निर्देश दिया.
राजन अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम का महत्वपूर्ण सहायक था. उसे 25 अक्तूबर को ऑस्ट्रेलिया से आने पर इंडोनेशिया में बाली हवाईअड्डा से गिरफ्तार किया गया था और बाद में भारत के सुपुर्द कर दिया गया था.
महाराष्ट्र में राजन पर करीब 70 मुकदमे दर्ज हैं जिसमें एक मामला जेडे हत्या मामला से भी जुड़ा है. महाराष्ट्र सरकार ने उसके खिलाफ सभी मामलों को सीबीआई के हवाले कर दिया है.
डे एक मशहूर अपराध रिपोर्टर थे और 11 जून 2011 को मुंबई के उपनगरीय पवई में मोटरसाइकिल सवार बंदूकधारियों ने कथित रूप से राजन के कहने पर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.
पवई के हीरानंदानी क्षेत्र में स्थित डी मार्ट में स्पेक्ट्रा बिल्डिंग के पास दो मोटरसाइकिल पर सवार चार लोगों ने मोटरसाइकिल चला रहे डे पर पीछे से चार से पांच राउंड गोली चलाई थी.
हमले के बाद उन्हें पास के हीरानंदानी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. पुलिस ने गोलीबारी के बाद बंदूकधारियों के मौके से फरार होने का दावा किया.
2011 में दायर पहले आरोपपत्र में गिरफ्तार आरोपी एस कालिया, अभिजीत शिंदे, अरुण डाके, सचिन गायकवाड, अनिल वागमोडे, नीलेश शेंडगे, मंगेश अगावने, विनोद असरानी, पॉलसन जोसेफ और दीपक सिसोदिया का नाम दर्ज किया गया था.
इसके बाद 2012 में पत्रकार जिग्ना वोरा के खिलाफ एक अन्य आरोपपत्र दायर किया गया, जो अब जमानत पर हैं.
राजन कथित रूप से डे द्वारा लिखे गए दो लेखों से नाराज था और इसलिए उसने उनकी हत्या का आदेश दिया. वोरा ने डे के साथ अपनी निजी दुश्मनी के चलते कथित रूप से उसे उकसाया था.
राजन के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए बंबई उच्च न्यायालय ने चार जनवरी को एक विशेष अदालत नामित किया.
इससे पहले राजन ने दिल्ली की अदालत में दायर एक आवेदन में कहा था कि मुंबई में उसके जीवन को खतरा है इसलिए उसे वहां नहीं भेजा जाना चाहिए.