गंगटोक : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सिक्किम को देश का पहला जैविक कृषि राज्य घोषित करते हुए आज कहा कि यह राज्य जल्द ही न केवल देश में बल्कि समूचे विश्व के लिए जैविक खेती का अग्रदूत बनेगा. मोदी ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग को जैविक प्रमाणपत्र प्रदान किया.
उन्होंने यहां टिकाउ खेती एवं कृषक कल्याण पर राष्ट्रीय चिंतन बैठक को संबोधित करते हुए कहा, सिक्किम ने एक ऐतिहासिक रास्ता निकाला है और पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि प्रकृति पर ध्यान देने और उसकी हिफाजत करने की जररत है. मोदी ने राज्य को नेपाली भाषा में बधाई देते हुए कहा कि इस कामयाबी के साथ यह राज्य न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया के लिए जैविक कृषि का अग्रदूत बनेगा.
जैविक खेती के क्षेत्र में सिक्किम की सफलता का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर में जैविक खेती के विस्तार करने की आज वकालत की ताकि कृषि क्षेत्र में सुधार हो और किसानों को उनकी उपज का अधिक लाभदायक मूल्य मिल दिलाने में मदद मिले.
यहां प्रदेशों के कृषि मंत्रियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने हाल में घोषित फसल बीमा योजना और मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने खेती के अनुकूल मोबाइल एप, ऑनलाईन मंडियों और खेती में मूल्य वर्धन की पहल पर जोर दिया. मौसम की मार सहने वाले किसानों के लिए वित्तीय सुरक्षा के उपाय के रुप में मोदी ने सुझाया कि उन्हें खेती की गतिविधियों को तीन बराबर हिस्सों बांटना चाहिये… इसमें एक हिस्सा फसल उत्पादन की नियमित खेती, आर्थिक रुप से लाभप्रद टिम्बर (इमारती लकडी) के लिए वृक्षारोपण और पशुपालन.
उन्होंने कहा कि टिम्बर और पशुपालन सामान्य खेती को नुकसान होने पर वैकल्पिक सहारे का काम करेंगे और किसानों को ‘बेबसी की स्थिति’ का सामना नहीं करना होगा. फलों की बर्बादी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उन्होंने शेतलपेय बनाने वाली कंपनियों से कहा कि वे इन उत्पादों में पांच प्रतिशत फलों के रस का सम्मिश्रण करें ताकि किसानों को वित्तीय हानि न हो.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, अगर हम किसानों, कृषि और गांवों को टुकडों में देखेंगे तो देश को लाभ नहीं होगा.हमें खेती के कामकाज को सम्पूर्णता के साथ देखना होगा. उन्होंने कहा कि वह यहां सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ इस बात पर विचार विमर्श करने आये हैं कि किस तरह से भारत के कृषि का रुपांतरण किया जा सकता है. सम्मेलन के मेजबान राज्य सिक्किम का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए विकास की नई उंचाइयों को छू रहा है.
इस संदर्भ में उन्होंने जैविक खेती का हवाला दिया जो सिक्किम में सफलता की कहानी कहता है. उन्होंने अन्य राज्यों से अपील की कि वे रणनीतिक स्तर पर (जैविक खेती के लिए) करीब 100 से 150 गांवों को मिलाकर एक जिला अथवा एक ब्लॉक अथवा तालुका को चुनें और वहां इसकी कोशिश करें… अगर प्रयोग सफल रहता है, तो बाकी जगह के किसान खुद ही इसका अनुपालन करेंगे। किसानों को वैज्ञानिकों के कितने भी व्याख्यान से कोई असर नहीं होगा… उनके लिए जो दिखेगा वही वे मानेंगे. मोदी ने राज्यों से कहा कि वे फैसला करें कि किस दिशा में जाना है. उन्होंने कहा कि उन्हें विरोध के कारण हतोत्साहित नहीं होना चाहिये.
मोदी ने कहा, जब (सिक्किम में) लगभग एक दशक पहले जैविक खेती के विचार को साझा किया गया होगा, मुझे पूरा यकीन है कि लोगों में इसका विरोध रहा होगा। लेकिन सिक्किम में किसानों ने इसे नहीं छोडा… लगभग एक दशक से वे इसमें लगे रहे। यह कोई छोटी बात नहीं है. सिक्किम ने हमें रास्ता दिखाया है और आज जो कुछ हम देख रहे हैं वह एक विचार के प्रति कठोर श्रम और विश्वास को दर्शाता है. राज्यों से जैविक खेती को सफल बनाना सुनिश्चित करने को कहते हुए मोदी ने कहा कि जैविक उत्पादों के लिए दुनिया भर में भारी मांग है और यह खेती किसानों के साथ साथ देश के लिए लाभकारी साबित होगी.
सिक्किम को ‘सुखिस्तान’ बताकर उसका उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने अपने 40 मिनट के संबोधन में कहा, जो कोई अपनी इच्छा अथवा अपने रास्ते का परित्याग नहीं करते, वे अपने जीवन में कुछ जरुर हासिल करते हैं… छोटे किस्म के प्रयोग बदलाव के अनुभव को नहीं दे सकते.उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जैविक खेती की लहर देश भर में फैलेगी.पूर्व की सरकारों पर कटाक्ष करते हुए मोदी ने कहा कि पहले कृषि के मुद्दे पर दिल्ली के विज्ञान भवन में चर्चा होती थी जहां राज्यों के कृषि मंत्रियों को आना, बोलना और जाना होता था.