रालेगण सिद्धि : जनलोकपाल पर अपने अनिश्चितकालीन अनशन की पूर्व संध्या पर अन्ना हजारे ने कांग्रेस पर ‘विश्वासघात’ करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि यूपीए सरकार के अपने वादे को पूरा करने या सत्ता से जाने का वक्त आ गया है.
राज्यसभा में लंबित जनलोकपाल विधेयक को पारित करने में देर करते रहने को लेकर हजारे ने यूपीए सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अनियंत्रित भ्रष्टाचार के चलते चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. हजारे ने कहा, ‘‘चार राज्यों के विधानसभा चुनाव से यह जाहिर हो गया है कि लोग कांग्रेस के नेतृत्व वाले मौजूदा सत्तारुढ़ गठबंधन से खासतौर पर अनियंत्रित भ्रष्टाचार, जनलोकपाल विधेयक को पारित नहीं करने और आम आदमी को प्रभावित करने वाले मूलभूत मुद्दों को लेकर गुस्से में हैं.’’
हजारे ने कहा कि लोगों ने लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने के लिए एक परिपक्व प्रतिक्रिया(चुनाव नतीजों के जरिए)दी है. कांग्रेस ने उन लोगों के साथ विश्वासघात किया है जिन्होंने उचित जवाब दिया.देश में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए केंद्र के पास इच्छाशक्ति की कमी है और अपने वादे को पूरा करने या सत्ता से जाने का वक्त आ गया है. हजारे ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब प्रधानमंत्री साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक संसद में पारित करने का संकल्प कर सकते हैं, तो वह काफी समय से लंबित भ्रष्टाचार रोधी विधेयक के लिए ऐसा क्यों नहीं करते.
उन्होंने भ्रष्टाचार रोधी विधेयक को लेकर दिल्ली में किए गए अपने अनशन को याद करते हुए कहा, ‘‘सोनिया गांधी ने एक पत्र लिखकर कहा था कि सरकार जनलोकपाल विधेयक लाने के लिए तैयार है और कहा था कि कृपया आप अपना अनशन तोड़िए. मैंने उन पर विश्वास किया और अपना अनशन तोड़ दिया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता था कि यह यूपीए सरकार लोगों से और मुझसे विश्वासघात करेगी.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि एक लिखित आश्वासन के बावजूद सरकार ने दो साल बीतने के बाद भी कानून नहीं बनाया.
हजारे ने कहा कि जब लोग सड़कों पर उतरे थे और उनका अनिश्चितकालीन अनशन जारी था तब जनलोकपाल एक दिन में लोकसभा में पारित हो गया. इसके बाद, यह विधेयक स्थायी समिति के पास गया, फिर राज्य सभा में और एक प्रवर समिति के पास गया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं कल से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठूंगा और संसद में जनलोकपाल विधेयक पारित होने तक अपना अनशन जारी रखूंगा.’’
बाद में उन्हें एक और पत्र मिला जिसमें कहा गया कि विधेयक बजट सत्र में आएगा और फिर एक और वादा किया गया कि यह मॉनसून सत्र में लाया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘मॉनसून सत्र भी गुजर गया. और इसी के चलते हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा और अब मैं कल से रालेगण सिद्धि में अनशन करुंगा.’’ सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि जन प्रतिनिधि को खारिज करने, उन्हें वापस बुलाने और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी.
उन्होंने जनलोकपाल विधेयक के लिए प्रभावी कोशिश नहीं करने को लेकर विपक्षी पार्टियों की भी निंदा की. दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने को लेकर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को बधाई देते हुए हजारे ने अपना रुख दोहराया कि वह आप सहित किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे.हजारे ने देश की राजनीतिक संस्कृति में बदलाव लाने के लिए आप की कोशिशों को स्वीकार किया और एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने का फैसला कर अवसरवादी राजनीति को खारिज करने के केजरीवाल की रुख की सराहना की. बहरहाल, हजारे ने कहा कि जनलोकपाल के लिए अपने आंदोलन में वह आप सहित राजनीतिक पार्टियों का समर्थन लेने के विरुद्ध नहीं हैं, पर उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वह नेताओं के साथ मंच साझा नहीं करेंगे.