नयी दिल्ली : कुल 25 उपग्रहों के प्रक्षेपण के साथ जहां बीता साल इसरो के लिए व्यस्तता भरा रहा, वहीं परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में जापान के साथ परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर के अलावा असैन्य जिम्मेदारी समेत विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात हुई. ये मुद्दे ऐसे थे, जो कि इस क्षेत्र के विकास को अवरुद्ध कर रहे थे.
इस साल दो नये सचिवों ने पदभार भी संभाला. ये सचिव थे, परमाणु ऊर्जा विभाग के शेखर बसु और अंतरिक्ष विभाग के ए एस किरण कुमार.इसरो के उपग्रहों में दो संचार उपग्रह- जीसैट 6 और जीसैट 7 थे. इसके अलावा इसरो के उपग्रहों में आईआरएनएसएस-1डी शामिल था, जो कि भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली के अंतरिक्षीय खंड के सात उपग्रहों में से चौथा उपग्रह था.
इस वर्ग के तीन उपग्रहों- आईआरएनएसएस-1ए, 1बी और 1सी को पहले सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया था. भारत ने अपनी पहली अंतरिक्ष अनुसंधान वेधशाला एस्ट्रोसैट उपग्रह का भी प्रक्षेपण किया. अंतरिक्ष वेधशाला भारत के अलावा सिर्फ अमेरिका, रुस, यूरोपीय संघ और जापान के ही पास है.
बीते साल इसरो द्वारा विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण में हासिल की गयी सफलता सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रही. बीते साल भारत की अंतरिक्ष संस्था ने सिंगापुर के छह, अमेरिका के चार, ब्रिटेन के पांच, कनाडा का एक और इंडोनेशिया का एक उपग्रह प्रक्षेपित किया. इसके साथ ही इसरो के लिए एक नये युग का भी उदय हो गया. भारत को वर्ष 1973 और 1997 में परमाणु परीक्षण करने के बाद से अमेरिका की ओर से लगाये गये प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण इसका अंतरिक्ष कार्यक्रम बाधित हुआ था.
भारत के पहले अंतरग्रही अभियान मंगलयान की सफलता समेत विभिन्न कार्यों के लिए इसरो को गांधी शांति पुरस्कार और अमेरिका की नेशनल स्पेस सोसाइटी की ओर से स्पेस पाइअनीर अवॉर्ड दिया गया.
हालांकि बीते साल इसरो विवादों के घेरे में भी आया. सितंबर में एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने एंट्रिक्स की व्यवसायिक शाखा एंट्रिक्स से विवादास्पद एंट्रिक्स-देवास मामले में 67.2 करोड डॉलर का भुगतान देवास को करने के लिए कहा.