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मोदी के पक्ष में शशि थरूर की पत्नी सुनंदा, कहा जम्मू में हो रहा है 370 के कारण भेदभाव

नयी दिल्ली : जब से नरेंद्र मोदी ने जम्मू में धारा 370 की बात कही है, राजनीति तेज हो गयी है. सभी अपने-अपने तरीके से नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रहे हैं, लेकिनकेंद्रीय मंत्री शशि थरुर की पत्नी सुनंदा पुष्पकर ने मोदी का समर्थन करते हुए कहा कि प्रदेश की महिलाएं अगर बाहरी व्यक्ति से […]

नयी दिल्ली : जब से नरेंद्र मोदी ने जम्मू में धारा 370 की बात कही है, राजनीति तेज हो गयी है. सभी अपने-अपने तरीके से नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रहे हैं, लेकिनकेंद्रीय मंत्री शशि थरुर की पत्नी सुनंदा पुष्पकर ने मोदी का समर्थन करते हुए कहा कि प्रदेश की महिलाएं अगर बाहरी व्यक्ति से शादी करती हैं , तो उनके साथ भेदभाव होता है और जो व्यक्ति यह कहता है कि ऐसा नहीं है, वह झूठ कह रहा है. सुनंदा ने कहा कि मोदी ने सही कहा है कि धारा 370 की समीक्षा होनी चाहिए.

उन्होंने बताया कि शादी के बाद जब मैंने जम्मू में जमीन खरीदने की कोशिश की, तो मुझसे यह कहा गया कि मेरा स्टेट सब्जेक्ट (नागरिकता) रिन्यू नहीं हुआ है, इसलिए मैं जमीन नहीं खरीद सकती.

उन्होंने आगे कहा, ‘हाई कोर्ट द्वारा महिला विरोधी कानून में सुधार लाए जाने के बावजूद जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं आया है. उमर ने मुझे बताया कि आपको पता होगा कि कानून में बदलाव के बावजूद आपके बच्चे इन संपत्तियों को नहीं पा सकते हैं. यह मुझे बहुत अजीब लगा. मेरे कजिन ने महाराष्ट्र की लड़की से शादी की है और उनके दोनों बच्चे के नाम से राज्य में प्रॉपर्टी हैं.’

सुनंदा ने कहा, ‘जमीन खरीदने की कोशिश मैं जम्मू में कर रही थी, जबकि घाटी में हमारी पुश्तैनी जमीन है. मेरे पिता ने मुझे कहा था कि तुम अब स्टेट सब्जेक्ट नहीं रह गई हो इसलिए अपने हिस्से की जमीन भाइयों के नाम कर दो.’

थरूर की पत्नी ने इस मसले पर बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगाया और दबे स्वर में इसके लिए नेहरू का जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि बीजेपी जब सत्ता में थी तो इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया. इसके बाद सुनंदा ने कहा कि हो सकता है कि मेरे जबाव से मेरे पति चिढ़ जाएं लेकिन मैं एक कश्मीरी और महिला भी हूं.

सुनंदा ने कहा कि अगर मेरी जानकारी गलत नहीं है तो धारा-370 की धीरे-धीरे विदाई होनी थी, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह कैसे होना था. उन्होंने कहा, ‘जवाहर लाल नेहरू, शेख अब्दुल्ला और राजा हरि सिंह में हुए समझौते के मुताबिक यह सब हुआ. नेहरू ने कश्मीर का विभाग अपने पास रखा और सरदार पटेल गृह मंत्री होने के बावजूद कश्मीर से अलग रहे.’

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