नयी दिल्ली: महिला इंटर्न के यौन शोषण के आरोपों से इंकार करते हुये उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के गांगुली ने आज कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से उन्हें सदमा लगा है.
न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा, ‘‘मैं इन सबसे इंकार करता हूं. मैंने समिति से भी कहा है कि इंटर्न द्वारा लगाये गये सभी आरोप गलत हैं. मैं नहीं जानता कि कैसे ऐसे आरोप उनके खिलाफ लगाये गये हैं.’’न्यायमूर्ति गांगुली शीर्ष अदालत के एक अधिकृत प्रेस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे. इस अधिकृत बयान में कहा गया था कि इंटर्न के आरोपों की जांच के लिये गठित तीन न्यायाधीशों की समिति के समक्ष न्यायमूर्ति गांगुली का बयान दर्ज किया गया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंप दी है.
उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ आरोप पूरी तरह गलत हैं. इस लड़की ने यौन शोषण का कोई मसला उनके समक्ष नहीं उठाया था. उन्होंने कहा कि उन्होंने इस लड़की को कोई शारीरिक क्षति नहीं पहुंचायी.यह पूछने पर कि यदि उनसे सिद्ध करने के लिये कहा गया तो तपाक से उन्होंने कहा, ‘‘मैं निगेटिव कैसे सिद्ध कर सकता हूं.’’न्यायाधीशों की समिति ने इंटर्न का बयान दर्ज करने के बाद पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गांगंली का बयान रिकार्ड किया था.
शीर्ष अदालत के अधिकृत बयान में आज कहा गया, ‘‘उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ इंटर्न के यौन शोषण के आरोप की जांच के लिये गठित समिति की 13, 18, 19,20, 21, 26 और 27 नवंबर को बैठक हुयी थी. बयान के अनुसार कानून की इंटर्न का बयान दर्ज किया गया था. उसने तीन हलफनामे भी पेश किये थे. समिति ने न्यायमूर्ति ए के गांगुली का भी बयान दर्ज किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट 28 नवंबर को प्रधान न्यायाधीश को सौंप दी है.’’ इस अधिकारी ने समिति के निष्कर्ष का कोई विवरण नहीं दिया.
शीर्ष अदालत के ही एक न्यायाधीश पर यौन दुव्यर्वहार के आरोपों की गंभीरता को देखते हुये प्रधान न्यायाधीश ने 12 नवंबर को गठित इस समिति में न्यामयूर्ति लोढा के साथ ही न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई को शामिल किया था. न्यायमूर्ति गांगुली को 17 दिसंबर, 2008 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया था. न्यायमूर्ति गांगुली 3 फरवरी, 2012 को सेवानिवृत्त हुये थे.