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डीएसी ने रुसी वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने को मंजूरी दी

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुस दौरे से पहले रक्षा मंत्रालय की शीर्ष खरीद इकाई ने आज 40,000 करोड़ ़ रुपये की रुसी वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली ‘एस-400 ट्रिम्फ’ की खरीद को स्वीकृति प्रदान की. इसके अलावा 25,000 करोड़ रुपये की दूसरी परियोजनाओं को लेकर आगे बढने को मंजूरी मिली है. रक्षा मंत्री मनोहर […]

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुस दौरे से पहले रक्षा मंत्रालय की शीर्ष खरीद इकाई ने आज 40,000 करोड़ ़ रुपये की रुसी वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली ‘एस-400 ट्रिम्फ’ की खरीद को स्वीकृति प्रदान की. इसके अलावा 25,000 करोड़ रुपये की दूसरी परियोजनाओं को लेकर आगे बढने को मंजूरी मिली है.

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में हुई रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने इस रुसी मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने का फैसला किया, जो 400 किलोमीटर तक दायरे में शत्रु के विमान, मिसाइलों और यहां तक कि ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम हैं. मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय वायु रक्षा क्षमता को बढाने के लिए कदम उठाए गए हैं.
प्रणाली की लागत के संबंध में एक सूत्र ने कहा, ‘‘कीमत के बारे में बाद में पता चलेगा .” उद्योग जगत का मानना है कि मिसाइल प्रणाली पर करीब 40,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी. यह सौदा होने की स्थिति में चीन के बाद भारत इस मिसाइल रक्षा प्रणाली का दूसरा खरीदार बन जाएगा.माना जा रहा है कि यह सौदा सरकार से सरकार के बीच होगा तथा अगले सप्ताह मोदी के रुस दौरे के समय इसको लेकर प्रगति हो सकती है.
एस 400 ट्रिम्फ उडते हुए लक्ष्यों, जिनमें स्टील्थ प्रौद्योगिकी से लैस प्रणालियों शामिल हैं, को 400 किलोमीटर की दूरी से निशाना बना सकती है. यह मिसाइल प्रणाली बैलेस्टिक मिसाइलों और हाइपरसोनिक लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है.इससे पहले की मिसाइल प्रणाली एस-300 के मुकाबले एस-400 2.5 गुना अधिक दर से वार कर सकती है. यह रुस की प्रतिरक्षा व्यवस्था में सबसे आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है.
डीएसी ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 14,600 करोड़ रुपये में पिनाका रॉकेट प्रणाली की छह रेजीमेंट की खरीद संबंधी सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. पिनाका की हर रेजीमेंट में 18 लांचर होते हैं तथा हर लांचर की क्षमता एक बार में 12 रॉकेट दागने की होती है. टाटा पावर एसईडी, लार्सन एंड टर्बो तथा सरकारी कंपनी बीईएमएल इस प्रणाली को मुहैया कराएंगे.डीएसी ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन :डीआरडीओ: को निर्देश दिया है कि वह संशोधित पिनाका प्रणाली को बनाना जारी रखे क्योंकि यह शक्तिशाली और गौरवान्वित करने वाला स्वेदशी उत्पाद साबित हुआ है.
आतंकवाद विरोधी अभियानों एवं उग्रवाद विरोधी अभियानों में इस्तेमाल की जाने वाली 571 हल्के बुलेट पू्रफ वाहनों की सेना की मांग को भी स्वीकृति दी गई है. इस पर 300 करोड़ रुपये की लागत आनी है. सेना फिलहाल महिंद्रा जीप का इस्तेमाल कर रही है.रुसी मूल के टी-72 और टी-90 टैंकों पर इस्तेमाल किए जाने वाले 120 ट्राउल की खरीद को भी मंजूरी मिली है. डीएसी ने कुछ दूसरी खरीद को भी स्वीकृति प्रदान की.

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