।। राजकुमार ।।
रांची : दीपों का त्योहार दीपावली तीन नवंबर रविवार को है. आज धनतेरस है. आज की रात सवा आठ बजे तक त्रयोदशी है.
* छोटी दीपावली दो को : दो नवंबर शनिवार को छोटी दीपावली है. शाम 7:40 बजे तक चतुर्दशी रहेगी. इसी दिन नरक चतुर्दशी व बांग्ला व मिथिला पंचांग के अनुसार काली पूजा
भी है.
* कब कौन सी तिथि : रविवार तीन नवंबर को दीपावली है. शनिवार की शाम 7:41 बजे से अमावस्या लग जायेगी जो तीन नवंबर की शाम 6:38 बजे तक रहेगी.
* गणेश-लक्ष्मी की आराधना फलदायी
दीपावली में वृष, वृश्चिक व सिंह लग्न को स्थिर लग्न माना गया है. इसलिए जो भी जातक दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी-गणेश की आराधना करना चाहते है: देवी की आराधना के लिए शाम का समय काफी बेहतर माना जाता है. शाम में वृष लग्न भी मिलेगा. यह लग्न संध्या 6:21 से रात 8:16 बजे तक रहेगा. इसके अलावा वृश्चिक लग्न सुबह 7:35 से 9:51 व सिंह लग्न रात 12:48 से 3:02 बजे तक है. इसमें सभी लोगों के लिए पूजा शुभ मानी जाती है. कुंभ लग्न दिन के 1:45 से 3:15 बजे तक है. दीपावली के दिन स्वाति नक्षत्र रहेगा. यह नक्षत्र दो नवंबर की रात को 12:51 बजे शुरू हो रहा है जो रविवार को रात 12:21 बजे तक रहेगा. इसके बाद से विशाखा नक्षत्र शुरू हो रहा है. रविवार को प्रात : 6:29 बजे सूर्योदय हो रहा है. शाम 5:31 बजे सूर्यास्त होगा.
* तुला राशि में पांच ग्रहों की युक्ति
दीपावली के दिन गोचर में तुला राशि के साथ सूर्य,शनि,चंद्रमा,राहु व बुध हैं. डा सुनील बम्र्मन ने कहा कि पांच ग्रहों की युक्ति एक साथ एकत्रित हो रही है इसका फल ज्योतिषी के दृष्टिकोण से अच्छा नहीं माना जा रहा है. तुला राशि में सूर्य नीच हो जा रहे हैं. सूर्य-शनि आपस में घोर शत्रु हैं.
सूर्य-राहु व चंद्रमा-राहु, युक्ति ग्रहण योग का निर्माण कर रहे हैं. जबकि शनि-राहु विष योग का निर्माण कर रहे है. जिसका प्रतिफल वर्तमान समय में बेहतर नहीं माना जायेगा. मात्र शनि तुला राशि में उच्चतर होकर विराजमान है जो कि अनिष्ट प्रभावों में न्यूनता ला रहे हैं. तुला राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़े साती का मध्य चरण चल रहा है. शनि व बजरंगबली की आराधना,पीपल में प्रात: सूर्योदय से पूर्व जल देना या सूर्यास्त के पश्चात पीपल पेड़ के नीचे सरसों तेल का दीप दान शनि महाराज के कुप्रभाव को कम करता है. विशेषकर सिंह राशि वालों के लिए सूर्य को प्रात: ताम्र पात्र द्वारा अघ्र्य देना बेहतर होगा.
* शुभ लाभ और शुभ मुहूर्त
शांडिल्य ज्योतिष पीठम
सुख-सौभाग्य, धन-संपदा और ऐश्वर्य देनेवाली महालक्ष्मी की पूजा सभी व्यक्ति के लिए अनिवार्य है. समाज और राष्ट्र की शक्ति का आधार ऐश्वर्य और धन संपदा है. इन संपदाओं की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी है. उन्हें प्रसन्न किये बिना कोई समाज, कोई राष्ट्र सुखी नहीं हो सकता.
दीपावली शुभ-लाभ का संकेत देनेवाला पर्व है. गणोश, वरुण देवता, नवग्रह,सोलह मातृकाओं और सप्तवृत मातृकाओं का पूजन करना चाहिए. महालक्ष्मी के साथ ही महाकाली, महासरस्वती, यक्षराज, कुबेर, तुला (तराजू) और दीप का पूजन भी करना चाहिए. इस वर्ष दीपावली पूजन का मुहूर्त कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या तदनुसार रविवार-नवंबर को पड़ रहा है. इस बेला में पूजन के लिए स्थिर लग्न का ही चयन करना चाहिए. स्थिर लग्न से पूजन का फल स्थायी होता है और इससे अराधक को वर्ष भर व्यापार, धंधे, नौकरी या अन्य व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है.
इस वर्ष दीपावली पूजन के लिए दो स्थिर लग्न विशेष प्रभावी है, ये है वृष लग्न और सिंह लग्न. इस दीपावली पर वृष लग्न 5:40 से 7:46 तक है. इसी प्रकार सिंह लग्न रात 12:16 से रात्रि 2:28 मिनट तक है. इन लग्नों में जो पूजा पाठ, जप, हवन, आराधना और पुरश्चरन वगैरह किये जायेंगे, उसका फल स्थायी होगा और पूजा करनेवाले की मनोकामना पूरी होगी. ये लग्न ऐसे हैं, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का संपूर्ण फल देने में समर्थ है.
* कब किस लग्न में करे पूजन : जहां तक पूजन का प्रश्न है, व्यापार और व्यवसाय के अनुसार ही पूजन का लग्न का चुनाव करना चाहिए. सामान्य गृहस्थ, सेवाकर्मी, सौंदर्य, प्रसाधन के निर्माता या विक्रेता, वस्त्र, अनाज और भवन निर्माण सामग्री के व्यवसायियों को वृष लग्न में पूजन करने से विशेष लाभ होगा. वे पूरे साल सुखी रहेंगे. उनके व्यापार में बढ़ोतरी होती रहेंगी और लक्ष्मी की कृपा उन पर बनी रहेगी. जो व्यवसायी कल-कारखाने के मालिक हैं, जो कंप्यूटर का व्यवसाय करते हैं, जो मशीनरी का निर्माण करते हैं या सामान्य निर्माण कार्य में लगे हुए हैं, जो मेडिकल स्टोर का व्यवसाय करते हैं, उन्हें पूजन के लिए सिंह लग्न का चुनाव करना चाहिए. इस लग्न में पूजन करने से उन्हें व्यापार में ज्यादा लाभ प्राप्त होगी.
* लग्न निषेध : दीपावली या उससे संबंधित दूसरे पूजन मेष लग्न, कर्क लग्न, तुला लग्न और मकर लग्न में नहीं करना चाहिए, इन लग्नों में पूजन करने से दरिद्रता में बढ़ोतरी होती है. व्यापार में घर की पूजा का भी नुकसान हो सकता है. ये लग्न चर संज्ञक कहे गये हैं, इसलिए इन लग्नों से यथा संभव लक्ष्मी की पूजा करने से बचना चाहिए.
– शुभ मुहूर्त : – धनतेरस (शुक्रवार)
– 12:05 से लेकर 1:50 बजे तक.
– 2:20 से लेकर 4:00 बजे तक.
– 4:15 से लेकर 7:00 बजे तक.
– 7:15 से लेकर रात्रि 10:00 बजे तक.
(दीपावली पूजन मुहूर्त)
– वृष लग्न : संध्या 5:49-7:46 बजे तक
– सिंह लग्न : रात्रि 12:16 से 2:28 तक.
– अभिजात मुहूर्त : संध्या 5:05 से 6:30 बजे तक.
* कैसे पहचाने आभूषणों को
– हॉलमार्क ज्वेलरी को जानें
सोने के आभूषणों में हॉलमार्क का काफी महत्व है. हॉलमार्क के गहनों में शुद्धता का स्तर सही माना जाता है. यह भारतीय मानक ब्यूरो के मापदंड के अनुसार होता है. हॉलमार्क में कैरेट को दूसरे टर्म में लिखा जाता है. इसमें 750 का अर्थ है 18 कैरेट, 830 का 20 कैरेट, 916 का 22 कैरेट व 999 का अर्थ 24 कैरेट है. यहां 999 का अर्थ है प्रति 1000 अंश में सोने की मात्र 999 अंश. इसी तरह 22 कैरेट में प्रति 1000 में सोने की मात्र 916 अंश होती है. हॉलमार्क में कैरेट के अलावा दुकानदार का कोड, बनाने की तिथि आदि का भी जिक्र होता है. यहां ध्यान रखनेवाली बात यह है कि कई बार गले की चेन की कड़ी में हॉलमार्किग होती है, चेन में नहीं. इसका मतलब है कि केवल कड़ी के कैरेट से ही रहेगा. चेन पर अलग से हॉलमार्किंग होती है. इसके अलावा सोने की शुद्धता को दुकानों में लगे कैरेटोमीटर में जांच लेनी चाहिए.
– हीरे में है चार सी का महत्व
यदि आप हीरा खरीदना चाह रहे हैं, तो चार सी का अवश्य ध्यान रखना चाहिए. ये है कट, कलर, क्लीयरिटी और कैरेट. बाजार में ज्यादातर राउंड कट के हीरे ही मिलते हैं. इनके अलावा फैंसी कट में हार्ट, स्क्वायर आदि भी आते हैं. हीरा जितना बड़ा और अच्छे कट में होगा, उतना ही कीमती भी. कलर को डी से जेड कैटेगरी में रखा जाता है. डी कलर का हीरा अभी सबसे अच्छा माना जाता है. क्लीयरिटी में देखा जाता है कि हीरे में रेसा कितना है. जितना कम रेसा होगा, हीरा उतना ही ज्यादा महंगा होगा. कैरेट की आसान परिभाषा वजन होती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की कीमत के अनुसार हीरे की रेट भी बदलती है. ज्यादातर कंपनियां हीरे के आभूषणों के साथ सर्टिफिकेट भी देती हैं. इसमें हीरे के कट, कलर,क्लीयरिटी व कैरेट का जिक्र तो होता ही है, आपके आभूषण की तसवीर भी बनी होती है. इसमें सरकारी मान्यता प्राप्त कंपनियों की है सर्टिफिकेट सही होता है. इसमें जीआइए, आइजीआइ प्रमुख हैं.
– एक्सचेंज की जानकारी अवश्य लें
सोने व हीरे के आभूषणों में एक्सचेंज विकल्प की जानकारी जरूर लेनी चाहिए. सोने में कई स्थानों पर 100 प्रतिशत बाइ बैक होता है. वहीं हीरे में एक्सचेंज पॉलिसी पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए. इसमें अक्सर ग्राहक ठगे जाते हैं. कई कंपनियां ग्राहकों को जितनी कीमत पर खरीदा गया है, उसकी तुलना में 75 प्रतिशत राशि वापसी का वायदा करती हैं. चाहे हीरे की कीमत उस दिन कितनी भी हो. यानी यदि आपने हीरे का कोई गहना 20 हजार रुपये में खरीदा, तो दो साल बाद उसे बेचने पर आपको केवल 15 हजार रुपये ही मिलेंगे.
* बिल अवश्य लें : सोने-चांदी पर हमारे देश में वैट की दर केवल एक प्रतिशत है. यानी यदि आपने 50 हजार का सोना खरीदा है तो आपको कर के रूप में 500 रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे. इसे बचाने के चक्कर में लोग ठगे जाते हैं. वैट नहीं चुकाने पर उन्हें पक्का बिल नहीं मिलता है. पक्के बिल में कैरेट, वजन, उस दिन की कीमत व टैक्स का साफ-साफ जिक्र होता है. यही बात हीरे के आभूषणों पर भी लागू होती है.