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कांग्रेस की जीन में राजनीतिक असहिष्णुता : वेंकैया

नयी दिल्ली : देश में कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ कांग्रेस नेताओं के राष्ट्रपति भवन मार्च के बीच सरकार और भाजपा ने आज विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीतिक रुप से विस्थापित लोग लोकतांत्रिक रुप से प्राप्त जनादेश को चुनौती दे रहे हैं और अपनी प्रासंगिकता बनाये रखने के लिए […]

नयी दिल्ली : देश में कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ कांग्रेस नेताओं के राष्ट्रपति भवन मार्च के बीच सरकार और भाजपा ने आज विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीतिक रुप से विस्थापित लोग लोकतांत्रिक रुप से प्राप्त जनादेश को चुनौती दे रहे हैं और अपनी प्रासंगिकता बनाये रखने के लिए हताशा में ऐसे ‘नाटकीय कार्यो’ का सहारा ले रहे हैं.

भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने आज आरोप लगाया कि कांग्रेस की जीन में राजनीतिक असहिष्णुता है लेकिन वे गलत पते पर चले गए, उन्हें राजभवनों में जाना चाहिए था क्योंकि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं कांग्रेस या उनके मित्रवत दलों के शासन वाले राज्यों में घटी है.
उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस का असहिष्णुता के बारे में बात करना सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज करने…’ की कहावत को चरितार्थ करता है. ” वेंकैया ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम हुआ था. उन्होंने कहा, ‘‘ यह हमारे सांस्कृति विरासत को बदनाम करने का सुनियोजित प्रयास है जो समय की कसौटी पर परखा और स्वीकार्य है.
वेंकैया ने कहा, ‘‘ इस बारे में जारी अभियान से विकास की गति को पटरी से उतारने के प्रयास स्पष्ट हो रहे हैं. वे मोदी सरकार को सफल होने देना नहीं चाहते हैं. अब अचानक यह कहना कि असहिष्णुता बढ़ रही है, यह सत्य से परे है. ” कांग्रेस द्वारा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्ती के समक्ष असहिष्णुता के विषय को उठाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ आपातकाल लगाने वाली पार्टी किस मुंह से असहिष्णुता की बात कर सकती है. लोग उनके उपर हंस रहे हैं. ”
वेंकैया ने कहा, ‘‘ अभी जो चल रहा है, उसमें राजनीतिक रुप से विस्थापित लोग जनादेश को चुनौती दे रहे हैं. इसका कोई परिणाम नहीं आ रहा है क्योंकि वे लोगों का विश्वास खो चुके हैं और हताशा में अपनी प्रासंगिकता बनाये रखने के लिए ऐसे नाटकीय काम कर रहे हैं. ” केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पर सबसे अधिक असहिष्णु होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘ असहिष्णुता उनकी जीन में है. आजादी के बाद से ही वे कभी सहिष्णु नहीं रहे. असहमति को कभी बर्दाश्त नहीं किया. राजनीतिक असहिष्णुता कांग्रेस की पहचान है. ”
वेंकैया ने कहा कि उन्होंने बांटने वाली ताकतों से हाथ मिलाया और भिंडरावाले जैसे चरमपंथियों को मान्यता दी और मजलिस को आगे बढ़ाया, मुस्लिम लीग के साथ गठजोड किया. भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस ने अपने पूर्व प्रधानमंत्री के पार्थिव शरीर को पार्टी कार्यालय में रखने नहीं दिया और एक अन्य कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम कांग्रेस को कुर्सी से बाहर कर दिया.
उन्होंने कहा कि देश नहीं भूला है कि डा. मनमोहन सिंह के साथ किस तरह का सलूक किया गया. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने किस तरह का व्यवहार किया जब संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार के फैसले को कूडेदान में फेंकने की बात कही.
वेंकैया ने कहा कि उन्हें गैर मुद्दों पर दूसरों को उपदेश देने का नैतिक अधिकार नहीं है. कोई उनसे पूछे कि उनके शासनकाल में सलमान रुश्दी समेत कितने लोगों की पुस्तकों पर प्रतिबंध लगा. उन्होंने आरोप लगाया कि किस तरह से सिख विरोधी दंगों को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए उनके नेताओं ने कहा था कि जब बडा बरगद गिरता है तब धरती हिलती है. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस और उनके राजनीतिक मित्र जनादेश के प्रति असहिष्णु हैं और यही बुनियादी मुद्दा है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस 60 साल शासन में रही और उसने सभी शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थाओं पर आक्टोपस की तरह उपस्थिति बनायी और इसमें वामपंथी लोग उसके साथ आए. उन्होंने कहा कि अब वे दोनों माहौल को खराब बनाने का प्रयास कर रहे हैं. 1200 लोगों को साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है और केवल 39 ने लौटाने की घोषणा की है. उन्होंने पूछा कि पुरस्कार लौटाने वाले पूर्व की घटनाओं पर चुप क्यों थे.

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