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एक महीने के भीतर अपनी ई-मेल नीति तैयार करे सरकार: उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज केंद्र सरकार से कहा कि वह लोक अभिलेख कानून के अनुसार सरकारी कर्मियों के लिए अपनी ई-मेल नीति को एक महीने के भीतर अंतिम रुप दे ताकि सरकारी सूचनाएं भारत के बाहर के सर्वर तक न जा सकें. उच्च न्यायालय ने सरकार से इलेक्ट्रॉनिक दस्तखत के बाबत अधिसूचना […]

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज केंद्र सरकार से कहा कि वह लोक अभिलेख कानून के अनुसार सरकारी कर्मियों के लिए अपनी ई-मेल नीति को एक महीने के भीतर अंतिम रुप दे ताकि सरकारी सूचनाएं भारत के बाहर के सर्वर तक न जा सकें.

उच्च न्यायालय ने सरकार से इलेक्ट्रॉनिक दस्तखत के बाबत अधिसूचना जारी करने को भी कहा. ई-मेल के जरिए ‘फेसबुक’ पर शिकायत भेजने के लिए इलेक्ट्रॉनिक दस्तखत होना जरुरी होता है. अदालत ने यह निर्देश उस अर्जी पर दिया जिसमें आरोप लगाया गया कि सोशल नेटवर्क वेबसाइट किसी शिकायत को सक्षम अधिकारी तक भेजने के लिए यूजरों के सामने काफी जटिल प्रक्रिया उपलब्ध कराती हैं. न्यायमूर्ति बी डी अहमद और न्यायमूर्ति विभु बखरु की पीठ ने केंद्र के स्थायी वकील सुमित पुष्कर्णा की दलीलें दर्ज की जिसमें उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मियों के लिए ई-मेल नीति तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है और विभिन्न मंत्रालयों से इस बारे में सुझाव मांगे गए हैं जिसमें दो महीने का वक्त लगेगा.

पीठ ने कहा, ‘‘…हम उम्मीद करते हैं कि उक्त नीति चार हफ्तों में तैयार कर ली जाएगी.’’उच्च न्यायालय पूर्व भाजपा नेता के एन गोविंदाचार्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था. गोविंदाचार्य ने याचिका में कहा था कि आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अधिकारी जी-मेल खातों का इस्तेमाल करते हैं जिनके सर्वर भारत से बाहर हैं और देश की सरकारी सूचनाएं देश के बाहर जाना लोक अभिलेख कानून का उल्लंघन है.

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