नयी दिल्ली : जब भारत में भगवा भारत, गौमांस, भारत को पाकिस्तान जैसा बनाने और कथित अतिवाद के मुद्देपरकेंद्र सरकारकेरुख पर व्यापकचर्चा छिड़ीहै, तो ऐसे में मशहूर बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने अंगरेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिये इंटरव्यू मेंतथ्यों का एकऐसा आईना पेश किया है. तसलीमानसरीननेइनमुद्दों परटि्वटरपर भी अपनेविचारसाझाकिये हैं. ठीकदो दिन पहलेतसलीमानसरीन नेटि्वटरपर लिखा था कि ज्यादातर भारतीय बुद्धिजीवी तब कुछ नहीं बोलते हैं, जब मुसलिम अतिवादी मुझ पर हमला करतेहैं, लेकिन मैं उनका तब भी बचावकरती हूं, क्योंकि मेरादोहरा चरित्र नहीं है.
ज्यादातर सेक्युलर हिंदू विरोधी
बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने वरिष्ठ पत्रकार सागरिका घोष को दिये इंटरव्यू में कहा है कि भारत के ज्यादातर सेक्युलर हिंदू विरोधी और मुसलिम समर्थक हैं. तसलीमा से जब उनकेएक ट्वीट पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि हां, भारत में ज्यादातर सेकुलर लोग प्रो मुसलिम व एंटी हिंदू हैं. वे हिंदू फंडामेंटलिस्ट का विरोध जताते हैं, लेकिन मुसलिम फंडामेंटलिस्ट के जघन्य कृत्यों का भी बचाव करते हैं.दरअसल,हाल में तसलीमानसरीन ने एक ट्वीट में भारत में सेकुलरिज्म के व्यवहार में आने वाली दिक्कतों का जिक्र किया था.
साहित्य आकादमी लौटाना उचित
तसलीमा नसरीन ने अपने इंटरव्यू में कहा कि लेखक को अधिकार है कि वह अपना विरोध जतायें. अगर किसी ने किसी नाइंसाफी के विरोध में अपना अवार्ड लौटाया है और दूसरे लोग इस आइडिया को फॉलो करते हुए ऐसा करते हैं और अवार्ड लौटाते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है. तसलीमा ने इस सवाल पर कि क्या यह सरकार द्वारा राजनीतिक एजेंडा के तहत गढा गया आंदोलन है, के जवाब में कहा मैं ऐसा नहीं सोचती हूं, लेखक राजनीतिक और सामाजिक तौर पर जागरूक लोग होते हैं.
Most Indian intellectuals say nothing when Muslim fanatics attack me.But I stand by them when they're attacked. Because I'm not a hypocrite.
— taslima nasreen (@taslimanasreen) October 15, 2015
भारतीय मुसलमानों पर
तसलीमा ने कहा कि भारत में मुसलिमों के वोट के लिए उनका तुष्टीकरण किया जाता है. मुसलिमों का अधिक पक्ष लिया जाना बहुत सारे हिंदुओं को नाराज कर देता है. यह सही है कि यहां कई बार मुसलिमों के साथ दुर्व्यवहार इसलिए होता है, क्योंकि वे मुसलिम हैं. हालांकि ऐसा दूसरे समुदायों के साथ भी होता है. उन्होंने कहा कि मुसलिमों के साथ अगर भारत में बुरा बर्ताव किया जाता रहेगा तो वे भी पड़ोस के मुसलिम देश में जाना चाहेंगे, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान व बांग्लादेश के हिंदू भारत आना चाहते हैं.
खुद पर क्या बोलीं
तसलीमा ने कहा कि जब मेरी किताब को पश्चिम बंगाल में प्रतिबंधित किया गया था और मेरे खिलाफ पांच फतवे जारी किये गये थे, तो कोई मेरे साथ खड़ा नहीं हुआ. मैंने अकेले संघर्ष किया. उस समय मैं दिल्ली में हाउस अरेस्ट कर ली गयी, मेरे टीवी सीरियल को बैन कर दिया गया. मुझ पर भारत छोड़ने का भी दबाव डाला गया. उन्होंने कहा कि सुनील गांगुली व शंकर घोष ने तब के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से मेरी किताब पर बैन लगवाया था.