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साहित्य अकादमी पुरस्कार सलीब की तरह ढोता रहूंगा: विनोद शुक्ल
अमरकंटक, (मप्र) : एक तरफ जहां उत्तरप्रदेश के दादरी में हुई हिंसा और कन्नड लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में कई साहित्यकार अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा रहे हैं, वहीं, सुप्रसिद्घ उपन्यासकार और 1999 के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ल ने कहा है कि वह फिलहाल अपना सम्मान लौटा नहीं रहे […]
अमरकंटक, (मप्र) : एक तरफ जहां उत्तरप्रदेश के दादरी में हुई हिंसा और कन्नड लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में कई साहित्यकार अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा रहे हैं, वहीं, सुप्रसिद्घ उपन्यासकार और 1999 के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ल ने कहा है कि वह फिलहाल अपना सम्मान लौटा नहीं रहे हैं और वह इसे सलीब की तरह ढोते रहेंगे.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय, अमरकंटक में आयोजित एक समारोह में ‘दीवार में एक खिडकी रहती थी’ के लेखक ने कहा, ‘‘मैं साहित्य अकादमी पुरस्कार को सलीब की तरह ढोता रहूंगा… जब तक मैं इसे वापस नहीं करुंगा . अकादमी का सम्मान ‘फिलहाल’ लौटा नहीं रहा हूं. यह सम्मान कोई उधार तो है नहीं, जिसे लौटाया जाए”.उन्होंने कहा, ‘‘जिन कारणों से यह सम्मान वापस किए गए हैं उन कारणों के साथ मैं भी हूं . मैं निंदा करता हूं और मानता हूं कि तरह-तरह की कट्टरता के कारण हत्या तक हो जाती है. इसे बंद किया जाना चाहिए”.
गौरतलब है कि अब तक देश के 25 मशहूर लेखकों एवं साहित्यकारों ने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का एलान किया है. इनमें से सिर्फ आठ लेखकों ने साहित्य अकादमी को पत्र लिखकर पुरस्कार लौटाने की बात कही है. बाकी लेखकों ने सिर्फ मीडिया के सामने ही एलान किया है. जिन लेखकों ने साहित्य अकादमी को अपना पुरस्कार लौटाया है, उनमें से सिर्फ तीन लेखकों उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी एवं अमन सेठी ने ही एक लाख रुपए का चेक लौटाया है. साहित्य अकादमी पुरस्कार अब तक 1004 लेखकों को मिला है. पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों एवं साहित्यकारों में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की भांजी नयनतारा सहगल भी शामिल हैं.
इन सबका मानना है कि इस समय साहित्य अकादमी को लेखकों के साथ खडा होना चाहिए और उनका समर्थन करना चाहिए. इसके साथ ही, उनका आरोप है कलबुर्गी की हत्या के बाद साहित्य अकादमी ने कोई कदम नही उठाया है, लेकिन साहित्य अकादमी की वेबसाइट पर कलबुर्गी को श्रद्घांजलि देते हुए कई जानकारियां साझा की गई हैं.
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