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2006 मुंबई ट्रेन विस्फोट के 12 गुनाहगार दोषी करार, सजा का एलान बाद में

मुंबई :2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में 12 आरोपी को दोषी करार दिया गया है, जबकि एक को बरी कर दिया गया है. मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में सात आरडीएक्स बमों के फटने के नौ साल बाद एक विशेष महाराष्ट्र संगठित अपराध अदालत (मकोका) आज अपना फैसला सुनाया. फैसला सुनाते हुए मकोका न्यायाधीश यतिन […]

मुंबई :2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में 12 आरोपी को दोषी करार दिया गया है, जबकि एक को बरी कर दिया गया है. मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में सात आरडीएक्स बमों के फटने के नौ साल बाद एक विशेष महाराष्ट्र संगठित अपराध अदालत (मकोका) आज अपना फैसला सुनाया. फैसला सुनाते हुए मकोका न्यायाधीश यतिन डी शिन्दे ने मामले में 12 आरोपियों को दोषी ठहराराया और एक अन्य आरोपी अब्दुल वाहिद शेख (34) को बरी कर दिया.सजा कितनी मिलेगी, इस पर सोमवार को सुनवाई शुरू होने की संभावना है.

आपको बता दें 2006 की इस घटना में 188 लोगों की मृत्यु हुई थी, जबकि कई लोग घायल हो गये थे. विशेष मकोका न्यायाधीश यतिन डी शिंदे ने पिछले साल 19 अगस्त को मुकदमे की सुनवाई पूरी की थी.आठ साल तक चले मुकदमे में अभियोजन पक्ष ने 192 गवाहों का परीक्षण किया, जिसमें आठ भारतीय पुलिस सेवा और पांच भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ-साथ 18 चिकित्सक शामिल हैं. बचाव पक्ष के वकीलों ने 51 गवाहों का परीक्षण किया और एक व्यक्ति को अदालत के गवाह के तौर पर बुलाया गया. गवाहों की गवाही तकरीबन 5500 पन्नों में चली.

188 लोगों की हुई थी मौत

मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों के प्रथम श्रेणी के डिब्बों में 11 जुलाई 2006 को सात आरडीएक्स बम विस्फोट हुए थे, जिसमें 188 लोगों की मौत हुई थी और 829 लोग घायल हुए थे.विस्फोट खार रोड-सांताक्रूज, बांद्रा-खार रोड, जोगेश्वरी-माहिम जंक्शन, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा-माहिम जंक्शन और बोरीवली के बीच हुए.

दोषियों के नाम

कमल अहमद अंसारी (37), तनवीर अहमद अंसारी (37), मोहम्मद फैजल शेख (36), एहतेशाम सिद्दकी (30), मोहम्मद माजिद शफी (32), शेख आलम शेख (41), मोहम्मद साजिद अंसारी (34), मुजम्मिल शेख (27), सोहैल महमूद शेख (43), जमीर अहमद शेख (36), नवीद हुसैन खान (30), आसिफ खान (38) आरोपी हैं, जिन्हें आतंकवाद निरोधक दस्ते ने गिरफ्तार किया था. जबकि अब्दुल वाहिद नाम के आरोपी को बरी कर दिया गया. मामले में आजम चीमा के साथ 14 अन्य फरार हैं.

दो साल बाद हुई थी गवाहों की गवाही

गवाहों की गवाही दो साल बाद हुई थी, क्योंकि साल 2008 में उच्चतम न्यायालय ने मुकदमे पर रोक लगा दी थी. स्थगनादेश देने से पहले अभियोजन ने पहले ही एक पुलिस अधिकारी की गवाही रिकार्ड कर ली थी. उच्चतम न्यायालय ने 23 अप्रैल 2010 को स्थगनादेश को हटाया था.

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