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कोल स्कैम : मनमोहन को तलब किये जाने की कोडा की याचिका पर सुनवाई दो को

नयी दिल्ली :सीबीआइविशेष अदालत ने आज कहा है कि कोयला घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दो अन्य को अतिरिक्त आरोपियों के रुप में तलब किए जाने से जुडी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई दो सितंबर को की जाएगी. पूर्व सांसद नवीन जिंदल और अन्य के नाम पहले इस मामले में […]

नयी दिल्ली :सीबीआइविशेष अदालत ने आज कहा है कि कोयला घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दो अन्य को अतिरिक्त आरोपियों के रुप में तलब किए जाने से जुडी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई दो सितंबर को की जाएगी. पूर्व सांसद नवीन जिंदल और अन्य के नाम पहले इस मामले में सीबीआई के आरोपपत्र में शामिल किए गए थे.

विशेष सीबीआई जज भरत पाराशर ने आरोप पत्र के साथ दायर किए गए दस्तावेजों की जांच पूरी होने की बात सभी आरोपियों द्वारा कही जाने पर, इस मामले में आरोप तय किए जाने से जुडी दलीलों के लिए भी मामले को पांच अक्तूबर से आठ अक्तूबर के लिए स्थगित कर दिया. सुनवाई के दौरान पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता के वकील ने इस मामले में कथित अपराधों के लिए उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी न होने का हवाला देते हुए उनके खिलाफ कार्यवाहियों को बंद करने की मांग की.

अदालत ने गुप्ता के आवेदन पर सुनवाई के लिए तीन सितंबर का दिन तय किया. जैसे ही अदालत की कार्यवाही शुरु हुई, गुप्ता के वकील ने यह कहते हुए आवेदन पेश किया कि इसपर सुनवाई आरोप तय किए जाने की बहस से पहले ही हो जानी चाहिए क्योंकि इस मामले में कानूनी पेच हैं.

कोडा के वकील ने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री (तत्कालीन कोयला मंत्री) और दो अन्य को इस मामले में अतिरिक्त आरोपियों के रुप में तलब किए जाने से जुडी उनकी याचिका पर सुनवाई आरोप तय किए जाने के लिए होने वाली बहस से पहले होनी चाहिए. शुरुआत में अदालत ने बचाव पक्ष के दोनों वकीलों से कहा कि वे अपनी-अपनी याचिकाओं पर दी जाने वाली दलीलें आरोपों पर दी जाने वाली दलील के साथ ही दे सकते हैं लेकिन वकीलों ने कहा कि उनके मामलों पर सुनवाई पहले होनी चाहिए. जज ने कहा, बचाव पक्ष के वकील की ओर से दिए गए अभ्यावेदनों को देखते हुए, मामले को अब आरोपी संख्या आठ (कोडा) और नौ (गुप्ता) की ओर से दिए गए आवेदनों पर बहस के लिए दो और तीन सितंबर तक स्थगित किया जाता है.

इसके बाद आरोप तय किए जाने से जुडी दलीलों पर सुनवाई के लिए तारीख को पांच से आठ अक्तूबर किया जाता है. झारखंड में अमरकोंडा मुर्गादंगल कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले में जिंदल, कोडा, गुप्ता और 12 अन्य के नाम आरोपपत्र में शामिल किए गए थे. यह आवंटन जिंदल समूह की दो कंपनियों जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और गगन स्पोंज आयरन प्राइवेट लिमिटेड को किया गया था.

अपने आवेदन में पूर्व प्रधानमंत्री को इस मामले में एक आरोपी के तौर पर तलब करने की मांग करते हुए कहा कि अंतिम मंजूरी देने वाले प्राधिकारी को सुनवाई से बचकर जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. उन्होंने सिंह को तत्कालीन सचिव (उर्जा) आनंद स्वरुप, तत्कालीन सचिव (खदान एवं भूविज्ञान) जय शंकर तिवारी के साथ आरोपी के रुप में तलब किए जाने की मांग करते हुए दावा किया कि सीबीआई की साजिश की परिकल्पना तत्कालीन प्रधानमंत्री की संलिप्तता के बिना अधूरी है, जो कि उस समय कोयला मंत्री के पद पर थे. अपनी याचिका में कोडा ने कहा था, सीबीआई द्वारा पेश किए गए साक्ष्य दर्शाते हैं कि कथित साजिश (यदि कोई हो तो) कोयला मंत्री की संलिप्तता के बिना पूरी नहीं हो सकती. पूरे आवंटन में अंतिम मंजूरी उनके ही हाथ में थी. याचिका में कहा गया था, रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य दर्शाते हैं कि कोयला मंत्री मामले के तथ्यों के बारे में जानते थे और उन्होंने कोयला ब्लॉक का आवंटन जेएसपीएल और जीएसआईपीएल को करने का फैसला सोच समझकर किया, जो सीबीआई के अनुसार, एक साजिश का परिणाम है और अवैध है. इस तरह, उन्हें भी तलब किए जाने की जरुरत है. स्वरुप और तिवारी के बारे में कोडा ने कहा था कि वे कंपनियों की याचिकाओं के मूल्यांकन और राज्य सरकार द्वारा सिफारिश किए जाने के लिए उपयुक्त आवेदनों का नाम बताने वाले तीन सदस्यीय उपसमूह का हिस्सा थे. उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों के अनुसार, स्वरुप और तिवारी ने विशेष तौर पर मेसर्स लैंको इंफ्राटेक के पक्ष में की गई सिफारिशों को वापिस लेने की सिफारिश की थी. इसके अलावा उन्होंने यह भी सिफारिश की थी कि मेसर्स जेएसपीएल के शेयर 30 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक बढा दिए जाएं.

जिंदल, कोडा और गुप्ता के अलावा पूर्व कोयला राज्य मंत्री डी. नारायण राव और 11 अन्य इस मामले के आरोपी हैं. इन 11 अन्य में पांच कंपनियां भी शामिल हैं. इस मामले के अन्य आरोपियों में जिंदल रियल्टी प्रा लि के निदेशक राजीव जैन, जीएसआईपीएल के निदेशक गिरीश कुमार सुनेजा और राधा कृष्ण सराफ, न्यू डेल्ही एग्जिम प्रा लि के निदेशक सुरेश सिंघल, सौभाग्य मीडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के. रामकृष्ण प्रसाद और चार्टेड अकाउंटेंट ज्ञान स्वरुप गर्ग शामिल हैं. 10 आरोपियों के अलावा पांच कंपनियां भी इस मामले में आरोपी हैं. ये कंपनियां हैं – जेएसपीएल जिंदल रियल्टी प्रा लि, गगन इंफ्राएनर्जी लिमिटेड (पहले जीएसआईपीएल), सौभाग्य मीडिया लिमिटेड और न्यू डेल्ही एग्जिम प्रा लि. इन्हें आरोपियों के तौर पर तलब करते हुए अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र), धारा 409(जनसेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघन) के साथ पढा जाए, 420 (धोखाधडी) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1)(सी) और 13(1)(डी)(जनसेवक द्वारा आपराधिक कदाचार) के साथ पढा जाए, के तहत आने वाले अपराधों का मामला बनता है.

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