नयी दिल्ली : CAG द्वारा दिल्ली की बिजली कंपनियों पर करायी गयी ऑडिट में खुलासा हुआ कि कंपनियों ने दिल्ली के लोगों से 8000 करोड़ रुपये ज्यादा वसूल किये हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिजली के बढ़े हुए बिल और बिजली कंपनियों पर तय रकम से ज्यादा पैसे लेने का आरोप लगाकर अपनी राजनीति को और चमक दी थी.
इस रिपोर्ट से आम आदमी पार्टी के दावों को बल मिला है. बिजली कंपनियों पर जब जांच के आदेश दिये गये. तो दिल्ली सरकार पर खूब राजनीतिक हमले हुए लेकिन सीएजी ने जब बिजली कंपनियों की ऑडिट के बाद रिपोर्ट पेश किया, तो इसमें खुलासा हुआ कैसे कंपनियां 3 निजी बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं से अपनी बकाया राशि वसूलने की रकम को 8,000 करोड़ रुपये बढ़ाकर पेश किया.
इस रिपोर्ट ने कई चौकाने वाले खुलासे किये इसमे स्पष्ट तौर पर कहा गया कि दिल्ली में बिजली के दाम कम करने की काफी संभावना है और जनता को इससे राहत मिल सकती है. 212 पन्ने की इस रिपोर्ट में कई तथ्य शामिल किये गये हैं. बीएसईएस यमुना पॉवर लिमिटेड और बीएसईएस राजधानी पॉवर लिमिटेड (अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की कंपनी) और टाटा पॉवर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड पर कई तरह के आरोप लग रहे हैं.
इसमें उपभोक्ताओं के आकड़ों के साथ छेड़छाड़ की गयी. इतना ही नहीं कंपनी ने ऐसे कई फैसले लिए जो उपभोक्ताओं को हानि और कंपनी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लिये गये. इन कंपनियों पर लागत को बढ़ा चढ़ाकर पेश करना, राजस्व को दबाना, निजी कंपनियों से टेंडर के बगैर ही सौदा कर लेना.
कैग की इस रिपोर्ट से आम आदमी पार्टी और उनके कार्यकर्ताओं के दावे पर मुहर लगती है. बिजली कंपनियों की ऑडिट की मांग को लेकर पार्टी ने शीला दीक्षित की सरकार को भी घेरने की कोशिश की थी. आम आदमी पार्टी जब पहली बार सत्ता में आयी तो उसी वक्त बिजली कंपनियों की सीएजी ऑडिट कराने का फैसला लिया था.