नयी दिल्ली : एक कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में यहां एक विशेष अदालत ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा, पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता और सात अन्य के खिलाफ आज मुकदमे की कार्यवाही शुरू की. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव ए के बसु, दो लोक सेवकों – बसंत कुमार भट्टाचार्य और बिपिन बिहारी सिंह, विनी आयरन एंड स्टील उद्योग निगम (विसुल), इसके निदेशक वैभव तुलसियान, कोडा के कथित निकट सहयोगी विजय जोशी और चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीन कुमार तुलसियान के खिलाफ भी इस मामले में आरोप तय किये.
यह मामला झारखंड में राजहरा उत्तरी (मध्य एवं पूर्वी) कोयला ब्लॉक विसुल को आवंटित किये जाने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है. सभी आरोपियों ने अपने खिलाफ तय किये गये आरोप स्वीकार नहीं किये और सुनवाई की मांग की जिसके बाद अदालत ने उनके दस्तावेजों को स्वीकार या खारिज करने के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की. अदालत ने कहा, ‘विभिन्न आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग आरोप तय किये गये हैं. किसी भी आरोपी ने आरोप स्वीकार नहीं किया और सुनवाई की मांग की है.’
अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत इन आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया था. अदालत ने कहा कि गुप्ता ने प्रथमदृष्टया आइपीसी की धारा 409 (लोकसेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) का भी उल्लंघन किया जबकि वैभव तुलसियान, जोशी और विसुल ने प्रथम दृष्टया आइपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधडी की. पांच लोक सेवकों कोडा, गुप्ता, बसु, सिंह और भट्टाचार्य के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आरोप तय किये गये.
अदालत ने 14 जुलाई को इन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश देते हुए कहा था कि आरोपियों ने जो विभिन्न गडबडियां कीं, वे प्रथम दृष्टया स्पष्ट करती है कि उन्होंने झारखंड में राजहरा उत्तरी कोयला ब्लॉक विसुल को आवंटित करने के ‘एकमात्र लक्ष्य’ के साथ षडयंत्र रचा. सीबीआइ ने अपने आरोपपत्र में कहा था कि विसुल ने राजहरा उत्तरी कोयला ब्लॉक के लिए आठ जनवरी 2007 को कोयला मंत्रालय को आवेदन भेजा था. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि यद्यपि झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए विसुल के मामले की सिफारिश नहीं की थी, लेकिन 36वीं निरीक्षण समिति ने आरोपी कंपनी को ब्लॉक की सिफारिश की थी.