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मुस्लिम नौजवानों में पनप रही अलगाव की भावना से सुरक्षा एजेंसियां चिंतित,गृह मंत्रालय ने बुलायी बैठक

नयी दिल्ली : मुस्लिम नौजवानों के एक तबके में पनप रही अलगाव की भावना और उनमें कट्टर सोच पैदा करने की कोशिशों ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंतित कर दिया है, जिसकी वजह से केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक बुलानी पडी है. सोशल मीडिया पर नजर रखते वक्त सुरक्षा एजेंसियों […]

नयी दिल्ली : मुस्लिम नौजवानों के एक तबके में पनप रही अलगाव की भावना और उनमें कट्टर सोच पैदा करने की कोशिशों ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंतित कर दिया है, जिसकी वजह से केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक बुलानी पडी है. सोशल मीडिया पर नजर रखते वक्त सुरक्षा एजेंसियों ने गौर किया है कि भारतीय मुस्लिम नौजवानों का एक तबका महसूस करता है कि जीवन के विभिन्न चरणों में, खासकर पुलिस एवं न्यायपालिका की ओर से उनसे कथित तौर पर भेदभाव किया जाता है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया के रुझानों पर गौर करने से पता चलता है कि कई नौजवान मुस्लिम मानते हैं कि 1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों के कसूरवार याकूब मेमन को दी गई फांसी रोकी जा सकती थी और उसे उसके धर्म के कारण निशाना बनाया गया. जम्मू-कश्मीर का उदाहरण देते हुए अधिकारी ने कहा कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को मिली फांसी की सजा ने कई कश्मीरी युवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाला था और उन्होंने सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में अक्सर हिस्सा लेकर, भारत विरोधी नारे लगाकर और पाकिस्तानी झंडे लहराकर अपने गुस्से का इजहार किया. अधिकारी ने कहा, ये परेशान करने वाले रुझान हैं जिसका निदान हमें करना होगा. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए जल्द ही गृह मंत्रालय में बैठक होगी.
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो कई मुस्लिम नौजवानों के कट्टरपंथी तत्वों के बहकावे में आ जाने और उनके चरमपंथी बलों में शामिल हो जाने का खतरा है.
आईएसआईएस और अल-कायदा को भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती करार देते हुए खुफिया ब्यूरो (आईबी) के पूर्व निदेशक आसिफ इब्राहिम ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि इंटरनेट भारतीय नौजवानों में कट्टरपंथी सोच पैदा करने का जरिया बन गया है और इस पर सामुदायिक एवं सामूहिक प्रतिक्रिया की जरुरत है. इब्राहिम ने कहा था कि भारतीय नौजवानों के संकटग्रस्त क्षेत्रों की ओर रख करने का बडा खतरा बना हुआ है क्योंकि वे क्षेत्र इन युवाओं के लिए रोल मॉडल के तौर पर उभर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि ऐसे घटनाक्रम प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से भारत के लिए खतरनाक हो सकते है.

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