नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि सरकारी नौकरी कर रही महिला यदि किराये से मां बनती है तब भी वह मातृत्व अवकाश पाने की अधिकारी है और छुट्टी देने से मना करना मांऔर बच्चे दोनों के लिए नुकसानदेह है. न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा कि सिर्फ गर्भधारण करने वाली स्त्री तक […]
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि सरकारी नौकरी कर रही महिला यदि किराये से मां बनती है तब भी वह मातृत्व अवकाश पाने की अधिकारी है और छुट्टी देने से मना करना मांऔर बच्चे दोनों के लिए नुकसानदेह है.
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा कि सिर्फ गर्भधारण करने वाली स्त्री तक मातृत्व अवकाश को सीमित करना, विज्ञान द्वारा की गयी तरक्की की ओर से आंखें बंद करना होगा.
अदालत ने यह भी कहा कि मातृत्व शब्द में ऐसी स्थिति भी आयेगी जब एक महिला गर्भधारण के लिए दूसरी महिला का सेवाएं लेती है. भले ही इस प्रक्रिया में महिला या उसके पुरुष साथी का जेनेटिक तत्व इस्तेमाल हुआ हो या नहीं.