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बचाइए, कांग्रेस को!

– हरिवंश – कांग्रेस के कुछेक वरिष्ठ नेता, इस दल को मिटाने पर तुले हैं. कांग्रेस का मजबूत होना, टिकना और समय के अनुसार बदलना, देशहित में है. इसकी खासियत क्या रही है? विचारों में, नीतियों में मध्यमार्गी रहना. समृद्ध ऐतिहासिक विरासत इसकी ताकत रही है. बड़े नेता, पंडित नेहरू से सरदार पटेल तक की […]

– हरिवंश –
कांग्रेस के कुछेक वरिष्ठ नेता, इस दल को मिटाने पर तुले हैं. कांग्रेस का मजबूत होना, टिकना और समय के अनुसार बदलना, देशहित में है. इसकी खासियत क्या रही है? विचारों में, नीतियों में मध्यमार्गी रहना. समृद्ध ऐतिहासिक विरासत इसकी ताकत रही है. बड़े नेता, पंडित नेहरू से सरदार पटेल तक की अर्जित पूंजी, यश और त्याग से इसे आज भी ऊर्जा मिल रही है.
पर त्याग-तप की नींव पर खड़ी विरासत को आधुनिक कांग्रेसी भूल चुके हैं. वे अपने आचरण और काम से कांग्रेस को मिटाने पर तुले हैं. माननीय दिग्विजय सिंह, कानून मंत्री सलमान खुर्शीद या कुछेक अन्य नेताओं के बयान कांग्रेस को तबाह करने के लिए पर्याप्त हैं.
अब तक के भारत के सबसे बड़े घोटाले 2जी में कुछेक मंत्रियों-कांग्रेसी नेताओं के बयान देखिए, इसका संदेश अदालत के लिए साफ है. इस मामले में कांग्रेस के पार्टनर-साझीदार (जेल में बंद) नेताओं-भ्रष्ट औद्योगिक घरानों के कारिंदों के खिलाफ चार्जशीट हो चुकी है. ये लोग जेल में हैं. कांग्रेस नेताओं-कुछेक मंत्रियों के बयान का आशय है कि आरोप तय होने के बाद इन्हें जेल से रिहा कर देना चाहिए. इन लोगों के सवाल हैं कि ये कब तक जेल में बंद रहेंगे?
राजा, कनिमोझी या कलमाड़ी या औद्योगिक घरानों के अभियुक्तों के प्रति यह सदाशयता क्यों?क्या कांग्रेस जेल में बंद अभियुक्तों को संदेश देना चाहती है कि वह उन्हें बचा लेगी, ताकि वे चुप रहें और सरकार की फजीहत न करें. दिग्विजय सिंह आज फरमा रहे हैं कि सारे ‘अंडरट्रायल’ रिहा किये जायें? सरकार आपकी, नियम-कानून बनाने का अधिकार आपके पास, फिर ऐसे बेतुके बयान क्यों? क्या आप विपक्ष में हैं कि ऐसी मांग कर रहे हैं? आप कर दिखाइए. यह ताकत-अधिकार देश ने आपको सौंपा है.
पक्ष और विपक्ष दोनों की भूमिका में कांग्रेसी ही रहना चाहते हैं. चित भी मेरी, पट भी मेरी! पिछले दिनों प्रधानमंत्री का बयान आया कि सूचनाधिकार कानून में फेर-बदल की जरूरत है. अगले दिन कानून मंत्री ने फरमाया इसमें कोई फेर-बदल नहीं. क्या यह दो दलों के परस्पर विरोधी नेताओं के बयान हैं? या मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेवारी के तहत दिये गये बयान हैं?
आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल-मानस है, तब 2जी के अभियुक्तों के प्रत्यक्ष-परोक्ष में कांग्रेस की वकालत का क्या अर्थ है? कोई लोकलज्जा-मर्यादा नहीं? कांग्रेस को तो आगे बढ़ कर अपने पुरोधा पंडित जवाहरलाल जी को स्मरण करना चाहिए, जिन्होंने कहा था कि भ्रष्टों को चौराहों के लैंप पोस्ट पर फांसी लटका देना चाहिए.
आज चीन में भ्रष्ट लोगों को फांसी दी जा रही है. इसी लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंदर बिहार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अनेक साहसिक, अनूठे और सीखने योग्य कठोर कदम उठाये हैं. कांग्रेस ने क्या किया? सांसदों का फंड बढ़ा कर पांच करोड़ कर दिया. सांसद-विधायक फंड, भ्रष्टाचार का महाकुंभ है.
भ्रष्ट अफसरों से लेकर भ्रष्ट घरानों के खिलाफ कौन से कठोर कानून कांग्रेस ने बनाये? बहुत पीछे न जायें, गुजरे 40 वर्षों में संसद से लेकर सड़क तक, भ्रष्टाचार नियंत्रण और चुनाव सुधार के मुद्दे पर न जाने कितनी बार बहसें हुईं, आयोग बने, पर कांग्रेस ने कुछ होने नहीं दिया, क्योंकि यह व्यवस्था उसे ‘सूट’ करती है.
आज देश में इस सार्वजनिक आचरण के खिलाफ आक्रोश है, फिर भी कांग्रेस ‘पब्लिक मूड’ समझने को तैयार नहीं? इतना ही नहीं, कांग्रेस के खिलाफ जो बयान दे रहा है, उस पर पहले कांग्रेसी नेता चौतरफा हमला करते हैं. फिर आयकर- सीबीआइ जांच शुरू होती है. जनता के बीच यह संदेश है, कि राजा के खिलाफ मत बोलिए. कहने को लोकतंत्र है, पर आपकी आवाज उठी नहीं कि आप पर कांग्रेसी नेताओं के प्रहार, फिर सीबीआइ-आयकर की जांच शुरू हो जायेगी. क्या यह राजतंत्र है या तानाशाही या कम्युनिस्टों का सर्वसत्तावाद?
कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह का ताजा बयान है कि श्री श्री रविशंकर आरएसएस-भाजपा एजेंट हैं. पहले बाबा रामदेव पर हमला हुआ. फिर उनके खिलाफ कई मामलों में जांच हो रही है. फिर अन्ना हजारे शिकार बने. उन पर भी जांच हुई, यह अलग है कि कुछ खास नहीं मिला. पर हर तरह से उन्हें बदनाम करने की कोशिश हुई. किरण बेदी-अरविंद केजरीवाल समेत अन्य के खिलाफ आयकर नोटिस जारी हुआ.
फिर इनके खिलाफ लगातार बयान. एक-एक कर उन गैर-राजनीतिक लोगों के खिलाफ मुहिम चली, जो व्यवस्था की कमियों या लोगों की पीड़ा को स्वर दे रहे हैं. इन लोगों में कमजोरी या कमी हो सकती है पर अपनी कमजोरियों के बावजूद ये व्यवस्था की सफाई की बात कर रहे हैं. क्या यह अपराध है? इनमें कमियां थीं, तो पहले क्यों नहीं इन्हें सजा दी गयी या ये मामले उजागर हुए?
जेपी आंदोलन में भी यह हथकंडा अपनाया गया था. कांग्रेस के नेता और उनकी पिछलग्गू (तत्कालीन) भाकपा ने जेपी को सीआइए का एजेंट कहा. आंदोलन से लेकर नेताओं पर तरह-तरह के आरोप-जांच. तब से अब तक एक सामान्य आरोप है कि कांग्रेस का हर विरोधी आरएसएस-भाजपा से मिला है. दिग्विजय सिंह ने इसमें एक नया पहलू जोड़ा है, कि आरएसएस के आतंकियों से ये लोग मिले हैं.
आरएसएस आतंकवादी संगठन है, तो उसके आतंकियों की सूची जारी कर उसे प्रतिबंधित क्यों नहीं करती केंद्र सरकार? कब तक आप यह गाना गाते रहेंगे? देश में अनगिनत आतंकी हमले हुए, देश आतंकवाद के साये में जी रहा है, उसे तो आप न संभाल पा रहे, न रोक पा रहे, न दोषियों को पकड़ पा रहे हैं? आपके एक केंद्रीय मंत्री तो ऐसी घटनाओं के बाद फरमाते हैं कि छोड़िए, यह सब चलता रहता है, इससे जीवन नहीं रुकता. यह तो शासकों का मानस है?
देश की जनता जानना चाहती है कि देश के आतंकवाद की जड़ें कहां हैं, कौन दोषी है, हत्यारे क्यों नहीं पकड़े जा रहे? यह कौन बतायेगा? यूपीए (या कांग्रेसी) सरकार ही न! अगर संघ दोषी नजर आता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का अधिकार किसके पास है? केंद्र सरकार के पास ही न? फिर अपनी अक्षमता, अकर्मण्यता और प्रतिशोध के लिए किसी और को दोष क्यों? अगर संघ दोषी है, तो उसपर कार्रवाई न करने का दोष सरकार और कांग्रेस पर है.
इसी तरह भ्रष्टाचार का मुद्दा है. आंध्र में कांग्रेसी राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल में जैसा भ्रष्टाचार हुआ, वैसा किसी राज्य में अब तक नहीं हुआ. यह सीबीआइ की रपट से साफ है. 30-40 हजार करोड़ की लूट. पर राजशेखर रेड्डी के पुत्र जगन रेड्डी पर अब कांग्रेस मेहरबान है. वह गिरफ्तार नहीं किये जा रहे.
कर्नाटक के मशहूर लौह-अयस्क तस्कर रेड्डी बंधुओं का सबसे नजदीकी रिश्ता तो राजशेखर रेड्डी-जगन रेड्डी और उधर के कांग्रेसियों से भी रहा है. भाजपाई येदियुरप्पा तो अपनी करनी का फल जेल में पा रहे हैं, पर कांग्रेस पक्ष भी कभी इस पाप को धोयेगा?
महंगाई की चिंता कांग्रेस को नहीं है. धर्मों के आधार पर समाज बांटने की शुरुआत किसने की? 1984 में रामजन्म भूमि ताला खुलवाने और शाहबानो मामले का कसूरवार कौन है? मुंबई में राज ठाकरे को किसने बढ़ाया? पंजाब में भिंडरावाले का जन्मदाता कौन है?
अनेक और अनंत प्रसंग हैं. अतीत के पापों को धोकर भविष्य संवारने की राजनीति होनी चाहिए. राजनीति में संजीदगी और मर्यादा होनी चाहिए और इसका सबसे अधिक दायित्व कांग्रेस पर है- क्‍योंकि वह महज शासक पार्टी ही नहीं, देश की साझी संस्कृति की नींव से जन्मी-पनपी है. वह अपने बयानों और कामों से खुद को नष्ट करे, तो देश की राजनीति को भारी क्षति होगी.
दिनांक : 30.10.2011

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