नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री आवास पर बुधवार की शाम हुई कैबिनेट की बैठक में दोषी जनप्रतिनिधियों के बचाने के संबंध में लाये गये अध्यादेश को सरकार ने वापस लेने का फैसला लिया. साथ ही जनप्रतिनिधित्व विधेयक भी वापस लिया जाएगा. इस फैसले से यह साफ हो गया है कि गुरूवार को लालू प्रसाद पर आनेवाले फैसले में अगर उन्हें दो साल से अधिक की सजा होगी तो उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी. लालू के साथ वैसे सभी नेताओं की सदस्यता खतरे में जो किसी भी मामले में दोषी करार दिये गये हैं. दोषी सांसदों और विधायकों संबंधी अध्यादेश पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कड़े विरोध के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपने पहले के कदम को वापस लेते हुए आज इस अध्यादेश और साथ ही विधेयक को वापस लेने का निर्णय किया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की करीब 20 मिनट चली बैठक में यह निर्णय किया गया.
मंत्रिमंडल का यह फैसला बुधवार को दिन भर चली व्यस्त गतिविधियों के बाद आया, जिसमें राहुल गांधी की प्रधानमंत्री से मुलाकात और उसके बाद सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक शामिल है. सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से निर्णय किया कि जन प्रतिनिधित्व कानून के कुछ पहलुओं से संबंधित अध्यादेश और साथ ही साथ विधेयक (संसद में लंबित) को वापस लिया जाता है.’’
एक सप्ताह की अमेरिका यात्रा से लौटे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बुधवार सुबह राहुल गांधी से मुलाकात हुई और उसके बाद कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक हुई. सिंह जब अमेरिका यात्रा पर थे उसी समय राहुल ने इस अध्यादेश के खिलाफ कड़े शब्दों में अपनी राय सार्वजनिक की थी.
राष्ट्रपति से मिले मनमोहन, अध्यादेश पर विचार
कांग्रेस कोर ग्रुप ने इस मुद्दे पर चर्चा की. कोर ग्रुप में सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री के अलावा गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल शामिल थे. समझा जाता है कि इस बैठक में यह महसूस किया गया कि अध्यादेश के खिलाफ जनता की भावनाओं को देखते हुए सरकार के लिए यह बेहतर यही था कि सरकार अध्यादेश पर फैसला ले. सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी द्वारा इसे सार्वजनिक मुद्दा बनाये जाने के साथ सरकार के लिए अब विकल्प बहुत कम बचे थे
अध्यादेश को लेकर कांग्रेस- भाजपा में तनातनी
कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में विचार विमर्श के बाद प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की और उन्हें इस मुद्दे पर सरकार की सोच से अवगत कराया. राष्ट्रपति आज ही दोपहर दो देशों की यात्रा पर रवाना हो गये. सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस कोर ग्रुप की एक घंटे चली बैठक के बाद उच्च पदस्थ पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक में इस मुद्दे से जुड़े सभी गुण दोष पर चर्चा की गई और निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल पर छोड़ दिया गया था. अध्यादेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भेजा गया था और यह अध्यादेश इस समय राष्ट्रपति के पास है. ऐसा बताया जाता है कि राष्ट्रपति को इस अध्यादेश को लेकर कुछ आपत्तियां हैं.
राहुल ने की पीएम से मुलाकात, बताया विरोध का कारण
सुबह राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री सिंह से उनके निवास पर मुलाकात की और समझा जाता है कि इस बैठक में कांग्रेस उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को अध्यादेश का विरोध करने के कारणों और अपनी आपत्तियों के बारे में बताया.
यह स्पष्ट करते हुए कि वह प्रधानमंत्री की सत्ता को किसी भी तरह से कमतर नहीं कर रहे हैं, राहुल ने उसी दिन प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिखा था और कहा था कि उनके नेतृत्व के प्रति उनका बहुत सम्मान है. राहुल के रुख के मद्देनजर कांग्रेस पर पड़े दवाब के बावजूद एनसीपी जैसे संप्रग के घटक उस तरीके को लेकर नाराज हैं ,जिस तरह से राहुल ने इस मुद्दे को उठाया. अततः अध्यादेश पर राहुल के मनमुताबिक फैसला ले लिया गया.