नयी दिल्ली: बिहार में अपने कार्यकाल के दौरान करोड़ों के चारा घोटाले को खोज निकालने वाले मानव संसाधन विकास मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारी अमित खरे ने आज रांची की विशेष सीबीआई अदालत के फैसले की ‘प्रशंसा’ की. अदालत ने अपने फैसले में लालू प्रसाद सहित 45 लोगों को दोषी ठहराया.
वर्ष 1985 बैच के आईएएस अधिकारी खरे जब पश्चिम सिंहभूम के उपायुक्त थे, उन्होंने पशुधन विकास विभाग के कार्यालयों में छापे मारकर और चारे की आपूर्ति करने के नाम पर अस्तित्वहीन कंपनियों द्वारा गबन दिखाने वाले दस्तावेज जब्त करके जनवरी 1996 में इस घोटाले का खुलासा किया था. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अन्य अधिकारी की तरह ही एक सरकारी कर्मचारी के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन किया. मैं लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आए इस फैसले की प्रशंसा करता हूं.’’खरे ने कहा कि जिले के कलेक्टर के तौर पर कोष का ध्यान रखना और इसमें कोई अनियमितता आने पर इसकी जांच करना उनका कर्तव्य था.
सेंट स्टीफंस और आईआईएम के पूर्व छात्र रहे खरे अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं. हालांकि घोटाले का खुलासा करने के बाद खरे का जीवन बहुत आरामदायक नहीं रहा. उनका कई विभागों में स्थानान्तरण किया गया और इस घोटाले में वर्ष 2008 तक उन्हें कई बार अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर पेश होना पड़ा.