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टू..फिंगर टेस्ट: आलोचना के बाद आप सरकार ने वापस लिया परामर्श

नयी दिल्ली: बलात्कार पीडितों का विवादित टू..फिंगर परीक्षण करने की अनुमति देने संबंधी परामर्श जारी करने पर भारी आलोचना का सामना कर रही दिल्ली की आप सरकार आज नगर के सभी अस्पतालों को नया परामर्श जारी करने के लिए बाध्य हुयी. इस परामर्श में बलात्कार पीडितों के साथ यौन उत्पीडन की घटना की पुष्टि के […]

नयी दिल्ली: बलात्कार पीडितों का विवादित टू..फिंगर परीक्षण करने की अनुमति देने संबंधी परामर्श जारी करने पर भारी आलोचना का सामना कर रही दिल्ली की आप सरकार आज नगर के सभी अस्पतालों को नया परामर्श जारी करने के लिए बाध्य हुयी. इस परामर्श में बलात्कार पीडितों के साथ यौन उत्पीडन की घटना की पुष्टि के लिए टू..फिंगर परीक्षण करने पर रोक लगा दी गयी है.

स्वास्थ्य विभाग ने अपने नए परामर्श में कहा कि मेडिकल पेशेवरों को बलात्कार पीडितों का टू-फिंगर परीक्षण नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही जोर देकर कहा गया कि परामर्श को गलत तरीके से समझा गया.स्पष्टीकरण देने वाले इस परामर्श में कहा गया है कि यह स्पष्ट कर दिया गया है और एक बार फिर दोहराया जाता है कि मेडिकल पेशेवरों को यौन उत्पीडन की घटना की पुष्टि के लिए यह परीक्षण नहीं करना चाहिए.

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सभी अस्पताल अधिकारियों को सलाह दी जाती है कि वे इसका पालन करें. यह परामर्श सभी अस्पतालों के मेडिकल अधीक्षकों और स्त्री रोग विभागों के प्रमुखों को जारी किया गया है. सरकार पूर्व के परामर्श को लेकर तीखी आलोचना का सामना कर रही थी.

दिल्ली सरकार ने 29 मई को अपने अस्पतालों के लिए एक परामर्श जारी किया था और कहा था कि बलात्कार के पीडितों का उनकी सहमति से टू..फिंगर या पीवी परीक्षण किया जा सकता है. इसमें कहा गया था कि परीक्षण के पहले पीडित से सहमति ली जानी चाहिए.

इस अधिसूचना पर कांग्रेस एवं भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. इस परीक्षण के तहत आंतरिक चोट, बल प्रयोग (अगर हुआ हो) आदि का आकलन किया जाता है तथा नमूने भी लिए जाते हैं.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार बलात्कार पीडितों का यह परीक्षण करने पर रोक है. यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने 2013 में कहा था कि यह परीक्षण पीडित की निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है.

स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. इसके बाद नई अधिसूचना जारी की गयी. इसके पहले जैन ने कहा था कि विवादित प्रक्रिया पर लगी रोक जारी रहेगी. जैन ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से भी मुलाकात की.

इस परामर्श पर राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि किसी बलात्कार पीडित का इस प्रकार का अमानवीय परीक्षण नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आप सरकार ने जो किया है, वह गलत है और स्वास्थ्य मंत्री को माफी मांगनी चाहिए.

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने इसे काफी दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि जब उनकी पार्टी सत्ता में थी तो इस परीक्षण पर रोक लगा दी गयी थी. उन्होंने कहा, यह (परिपत्र) गलत कदम था और अच्छा हुआ कि उन्होंने इसे वापस ले लिया है.

वकील और सामाजिक कार्यकर्ता आभा सिंह ने भी इस परामर्श की आलोचना की और कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि किस प्रकार दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद इस प्रकार का परामर्श जारी किया.दिसंबर 2012 के सामूहिक दुष्कर्म मामले के बाद गठित न्यायमूर्ति वर्मा समिति ने भी बलात्कार की पुष्टि के लिए यह परीक्षण किए जाने के खिलाफ राय दी थी.

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