नयी दिल्ली : कांग्रेस के नेता और केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर कड़ा प्रहार करते हुए आज आरोप लगाया कि वह मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में जानबूझकर निष्क्रिय रहे.रमेश ने यादव पर यह मानने की निंदनीय रणनीति अपनाने का आरोप लगाया कि इससे मतदाता बंट जाएंगे. रमेश ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच अपवित्र गठजोड़ था जिसने इस माह की शुरुआत में हिंसा जारी रखने की इजाजत दी.
उन्होंने साथ ही जोर देकर कहा कि वह यादव पर दंगों की साजिश रचने का आरोप नहीं लगा रहे या इस संबंध में उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नहीं बता रहे.
यह पूछने पर कि क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गुजरात में 2002 में हुए दंगों के दौरान मोदी की तरह अपना राजधर्म निभाने में असफल रहे, उन्होंने कहा, मैं अखिलेश यादव पर दंगों का साजिश रचने का आरोप नहीं लगा रहा. मैं अखिलेश यादव पर उस समय सोने का आरोप लगा रहा हूं, जब दंगे हो रहे थे.
रमेश ने यादव के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, वह सरकार हैं. वह मुख्यमंत्री हैं. उनकी सरकार से कोई भी मुजफ्फरनगर नहीं गया. आश्वासन का कोई शब्द नहीं कहा गया, दिलासा देने के लिए न तो कुछ कहा गया और न ही कुछ किया गया. रमेश ने यादव पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने वरिष्ठ मंत्रियों को सभी प्रकार के आक्रामक और अप्रिय बयान देने की इजाजत दी.
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि अखिलेश यादव पूरी तरह असफल रहे. ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा, मुजफ्फरनगर के मामले पर हम में से कोई चुप नहीं रहेगा. उन्होंने (अखिलेश) जो किया है वह अक्षम्य है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह खबर फैलने के बाद ही मुजफ्फरनगर जाने का निर्णय लिया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी वहां जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री, सोनिया और राहुल गांधी के दौरे से एक दिन पहले रविवार को दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया. रमेश ने समाजवादी पार्टी पर प्रहार करते हुए उसे राज्य में भाजपा का सबसे बड़ा मित्र बताया.
उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश में समाजवादी की सबसे बड़ी मित्र भाजपा है और राज्य में भाजपा की सबसे बड़ी मित्र समाजवादी पार्टी है क्योंकि समाजवादी पार्टी मुसलमानों की ओर से बोलने का दावा करती है और भाजपा हिंदुओं की ओर से बोलने का दावा करती है. रमेश ने कहा, यह समाजवादी पार्टी की निंदनीय रणनीति है कि मुस्लिमों और जाटों के बीच पारंपरिक गठबंधन टूट जाएगा, (रालोद के नेता और नागरिक उड्डयन मंत्री) अजित सिंह का प्रभाव (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) में कम हो जाएगा और फिर वे (सपा) मुसलमानों के सिपाहियों के रुप में सामने आएंगे. ऐसे में यदि भाजपा को जाट समुदाय के मत मिल जाएंगे तो इससे क्या होगा. उन्होंने कहा कि इस बार भी 2009 में लोकसभा चुनाव की तरह ध्रुवीकरण का माहौल नहीं है और कांग्रेस बड़ी संख्या में सीटों पर जीत का परचम लहराएगी.
रमेश ने कहा, जब ध्रुवीकरण होता है तो समाजवादी और भाजपा को बड़ी संख्या में सीटें मिलती हैं. उन्होंने कहा, यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि भाजपा के स्थानीय नेताओं ने सोशल मीडिया के जरिए साम्प्रदायिक दंगों को हवा दी. रमेश ने कहा, और अखिलेश ने दंगे जारी रखने की इजाजत दी. यह (सपा और भाजपा) के बीच अपवित्र गठबंधन दिखाता है.