मुजफ्फरनगर:उत्तर प्रदेश के मुजफ्फनगर में भाषणों के जरिये कथित तौर पर हिंसा भड़काने के मामले में एक स्थानीय अदालत ने बुधवार को बसपा के एक सांसद और भाजपा व बसपा के दो विधायकों तथा 11 अन्य राजनीतिक व सामुदायिक नेताओं के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया. पुलिस का कहना है कि फिलहाल कोई गिरफ्तारी नहीं की गयी है, लेकिन दो दिन के भीतर कार्रवाई की जायेगी. हालांकि, पुलिस का कहना है कि इन वांछितों की गिरफ्तारी के लिए 10 टीमों का गठन किया गया है. पूरे राज्य के अलग -अलग हिस्सों में भेजा गया है.
इनके खिलाफ वारंट
पुलिस के अनुसार बसपा सांसद कादिर राणा, भाजपा विधायकों संगीत सोम और भारतेंदु सिंह, बसपा विधायकों नूर सलीम और मौलाना जमील, कांग्रेस नेता सईदुज्जमां और भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख नरेश टिकैत सहित 16 राजनीतिक और सामुदायिक नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं. उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा में 47 लोग मारे गये और 40 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
दो दिन में कार्रवाई
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रवीण कुमार ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ दो दिन के भीतर कार्रवाई की जायेगी. कहा-हमने तीन से चार राजनेताओं को गिरफ्तार किया है. शीघ्र ही कुछ और गिरफ्तारियां होंगी.
क्या है आरोप
पुलिस ने बताया कि ये सभी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और जिले में महापंचायतों के दौरान भड़काऊ भाषण देकर हिंसा भड़काने के मामलों में वांछित हैं.
गिरफ्तारी हुई,तो गंभीर परिणाम
लखनऊ:यूपी विधान भवन के सामने बुधवार को हुए हाई वोल्टेज ड्रामा में उमा भारती की अगुवाई में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में नामजद भाजपा विधायक संगीत सोम की संभावित गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर उनके चारों ओर सुरक्षा घेरा बना लिया और उन्हें पार्टी कार्यालय तक लाये. उमा ने संवाददाताओं से कहा, यह तय हुआ था कि बिना जांच के कोई कार्रवाई नहीं होगी. चेतावनी भरे लहजे में कहा, अगर आज गिरफ्तारी हुई तो उसके दुष्परिणामों के लिये सरकार पूरी तरह जिम्मेदार होगी.
सीबीआइ जांच हो : सोम
वारंट जारी होने के बाद भाजपा विधायक संगीत सोम ने कहा कि वह इसके लिए तैयार हैं, लेकिन मामले की सीबीआइ जांच हो. सरकार पर आरोप लगाया कि एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए उन पर मामला दर्ज किया गया है.
स्टिंग ऑपरेशन से हलचल निशाने पर मंत्री आजम खां
लखनऊ:इस बीच एक न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में जो खुलासा हुआ है, उसमें यूपी सरकार के वरिष्ठ मंत्री आजम खां घिरते नजर आ रहे हैं. हालांकि, आजम ने कहा कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है और न ही वह इस बारे में कोई सफाई देना चाहते हैं. स्टिंग ऑपरेशन में दो पुलिस अधिकारियों को ‘राजनीतिक दबाव’ में आकर दंगों को काबू करने की कार्रवाई में देरी करने की बात कथित तौर से स्वीकार करते हुए दिखाया गया है.
मामले पर एक नजर: स्टिंग ऑपरेशन में कुछ पुलिसकर्मियों को यह कहते हुए दिखाया गया है कि कथित तौर पर प्रदेश के वरिष्ठ काबीना मंत्री आजम खां ने उन्हें दंगे रोकने से मना किया था. खां ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि आरोप साबित हो जाये तो सजा भुगतने के लिए तैयार हैं.
दोषी हूं, तो सजा मिले: आजम ने कहा, जिस समाचार चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन प्रसारित किया है, उसे जांच भी खुद ही कर लेनी चाहिए. उसे मेरे घर और कार्यालय के सभी फोन नंबरों को स्कैन करना चाहिए.
सीडी की होगी जांच : कथित स्टिंग ऑपरेशन संबंधी सीडी की जांच मेरठ के पुलिस महानिरीक्षक करेंगे. पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) राजकुमार विश्वकर्मा ने बताया कि हमने ऑपरेशन संबंधी रिपोर्ट देखी है. ऑपरेशन के प्रसारण के दौरान मुजफ्फरनगर में कुछ पुलिसकर्मियों को निलंबित किये जाने के कारण के बारे में पूछे जाने पर कहा कि कर्तव्य के प्रति लापरवाही के आरोप में वे निलंबित किये गये हैं.