नयी दिल्ली: भाजपा के पूर्व नेता बी एस येदियुरप्पा ने पार्टी में वापसी की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आज अपने संदेशवाहकों को यहां भेजा है जो वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और अरुण जेटली से मिलेंगे.येदियुरप्पा की इस पहल को अपनी पार्टी केजेपी का भाजपा में विलय करने की दिशा में उठाया गया […]
नयी दिल्ली: भाजपा के पूर्व नेता बी एस येदियुरप्पा ने पार्टी में वापसी की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आज अपने संदेशवाहकों को यहां भेजा है जो वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और अरुण जेटली से मिलेंगे.येदियुरप्पा की इस पहल को अपनी पार्टी केजेपी का भाजपा में विलय करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है.
कर्नाटक लोकायुक्त द्वारा भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने पर येदियुरप्पा ने राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. बाद में उन्होंने दिसंबर 2012 में कर्नाटक जनता पार्टी ( केजेपी )का गठन किया. नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद उन्होंने भाजपा लौट सकने के संकेत दिए हैं.
राज्य के प्रभावशाली लिंगायत नेता आज केजेपी की कार्यकारिणी की बैठक कर रहे हैं जिसमें मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने का अभिवादन किया जाएगा. वह यह कह चुके हैं कि अगर उनके दल में सर्वानुमति बनती है तो वह अपनी पार्टी का विलय भाजपा में करने को तैयार हैं.येदियुरप्पा ने अपने नजदीकी सहयोगी और पार्षद लेहर सिंह को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली भेजा है. सिंह ने आडवाणी से भी मुलाकात का समय मांगा है जो लोकायुक्त द्वारा दोषी ठहराए गए येदियुरप्पा की भाजपा वापसी के कड़े विरोधी हैं. शाम को सिंह के भाजपा अध्यक्ष से मिलने की संभावना है.
केजेपी के एक नेता ने हालांकि कहा, ‘‘ अगर भाजपा की केंद्रीय इकाई और कर्नाटक के भाजपा नेताओं में सर्वानुमति नहीं बनती है तो येदियुरप्पा शामिल होने के इच्छुक नहीं होंगे. तत्काल उनका कुछ दांव पर नहीं लगा है, क्योंकि हाल फिलहाल वह मुख्यमंत्री बनने नहीं जा रहे हैं. ’’ येदियुरप्पा पिछले कुछ महीनों से मोदी के साथ संवाद के द्वार खोले हुए हैं और भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर उन्होंने मोदी को बधाई पत्र भी लिखा था.भाजपा और केजेपी दोनों को लगता है कि येदियुरप्पा की वापसी से लाभ होगा. इस साल राज्य विधानसभा चुनाव में दोनों दलों का प्रदर्शन बहुत खराब रहा था. हालांकि, दोनों के मतों का कुल योग पहले जैसा रहा.
इससे दोनों दलों में यह राय बन रही है कि भाजपा में वापसी से लाभ होग. लेकिन येदियुरप्पा के कड़े विरोधी माने जाने वाले आडवाणी और अनंत कुमार भाजपा तथा केजेपी के विलय के पक्ष में नहीं हैं.सूत्रों ने कहा, अगर आडवाणी और अनंत कुमार येदियुरप्पा की वापसी का विरोध जारी रखते हैं तो अलग विकल्प तलाशे जा सकते हैं जिनमें केजेपी को राजग का हिस्सा बनाना शामिल है.
भाजपा सूत्रों का कहना है कि अनंत कुमार येदियुरप्पा विरोध के अपने रुख में नर्मी ला सकते हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव में उन्हें केजेपी नेता के समर्थन की जरुरत होगी.पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘‘अगर बेंगलूर (दक्षिण) सीट से कांग्रेस के टिकट पर नंदन निलेकनी के लोकसभा चुनाव लड़ने की खबर सही है तो अनंत कुमार को वहां से चुनाव लड़ने में बड़ी मुश्किल हो जाएगी.’’ 2009 के चुनाव में उक्त सीट के लिए अनंत कुमार को बड़े अनमने ढंग से समर्थन दिया था.
विलय से पहले येदियुरप्पा चाहते हैं कि पूर्व के सभी विवादों को सुलझा लिया जाए. हालांकि भाजपा से अलग होने के बाद राजनीतिक रुप से वह पहले जैसे मजबूत नहीं रह गए हैं. लेकिन वह नहीं चाहते कि पार्टी में लौटने पर वह पूर्व जैसी समस्याओं का फिर से सामना करें. इसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा वापसी के काफी इच्छुक दिख रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि दीर्घकाल में यह उनके लिए फायदेमंद होगा.