हैदराबाद:किसी आतंकी घटना के बाद गिरफ्तार किए गए संदिग्धों को अदालत से आरोपमुक्त हो जाने पर कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने 2007 के मक्का मस्जिद धमाकों में बरी हुए मुस्लिम युवाओं को मुआवजा देने के आदेश को खारिज कर राज्य सरकार को तगड़ा झटका दिया है. आंध्र प्रदेश सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी.
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व राज्य मंत्री मोहम्मद अली शब्बीर ने बताया कि राज्य सरकार हाईकोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर करेगी और आवश्यकता पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के शरण में जाएगी.
विधान परिषद के सदस्य शब्बीर ने सोमवार को हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद इस मामले में मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी, मुख्य सचिव, महाधिवक्ता और दूसरे शीर्ष अधिकारियों से बात की. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस कल्याण ज्योति सेनगुप्ता की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की एक पीठ ने भुगतान की गई राशि वापस लेने के निर्देश राज्य सरकार को जारी किए हैं. पीठ ने कहा कि अपराधिक मामलों में गिरफ्तारी के बाद बरी कर दिए जाने पर मुआवजे के रूप में इतनी अधिक राशि नहीं दी जा सकती.
गौरतलब है कि पिछले साल जनवरी माह में राज्य सरकार ने 20 लोगों को तीन-तीन लाख रुपये और 50 लोगों को 20 हजार रुपये मुआवजे के रूप में भुगतान किया था. देश में यह पहला मामला था, जब आतंकवाद फैलाने के आरोप में फर्जी तरीके से लोगों को गिरफ्तार करने और यातनाएं देने के बदले सरकार ने मुआवजा दिया था.
ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में 18 मई, 2007 को हुए विस्फोटों के बाद पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था. बाद में अदालत ने सभी गिरफ्तार युवकों को बरी कर दिया था और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने यह खुलासा किया था कि मक्का मस्जिद विस्फोटों के पीछे दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों का हाथ था.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सिफारिश पर कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार ने गलत तरीके से गिरफ्तार किए गए मुस्लिम युवकों को मुआवजा देने का फैसला किया था. अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद अहमदुल्ला ने पिछले साल छह जनवरी को एक समारोह में कई युवकों को अपने हाथ से चेक सौंपे थे.