-सिख विरोधी दंगा मामला-
नयी दिल्ली : सीबीआई ने सिख विरोधी दंगों के एक मामले में दोषी ठहराये गये पांच में से तीन लोगों को मृत्युदंड देने की गुहार लगाते हुए दिल्ली की एक अदालत से कहा है कि वे ‘‘सुनियोजित सांप्रदायिक दंगों’’ में लगे हुए थे और धार्मिक स्तर पर नरसंहार कर रहे थे.
पांचों दोषियों की सजा की मात्र के बारे में दलील देते हुए सीबीआई ने उनमें से तीन बलवंत खोकर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल को मृत्युदंड दिये जाने की मांग की. इन लोगों को जिला एवं सत्र न्यायाधीश जे आर आर्यन ने हत्या का दोषी ठहराया था. अदालत ने 30 अप्रैल को सुनाये अपने फैसले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के बरी कर दिया.फैसले में 31 अक्तूबर 1984 के इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों में पांच सिखों को मारे जाने के मामले में पूर्व पार्षद बलवान खोकर, पूर्व विधायक महेन्द्र यादव, किशन खोकर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल को संलिप्तता का दोषी ठहराया था.
पांचों में बलवान खोकर, गिरधारी लाल एवं कैप्टन भागमल को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) का दोषी ठहराया गया जबकि महिन्द्र यादव एवं किशन खोकर को केवल दंगों का दोषी करार दिया गया. सजा की मात्र तय करने के बारे में दलील देते हुए सीबीआई के वकील आर एस चीमा ने कहा कि यह एक सुनियोजित दंगा था जिसमें पीड़ितों को अलग थलग किया गया. यह धार्मिक नरसंहार था जिसमें क्षेत्र की जनसंख्या बदल गयी क्योंकि दंगे के बाद कोई भी पीडित क्षेत्र में वापस नहीं लौटा. उन्होंने कहा, ‘‘पीड़ित पूरी तरह से निदरेष थे और उन्होंने किसी को नहीं भड़काया था. एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया गया विशेषकर आदमियों को. उनके मकान नष्ट कर दिये और जलाये गये. साथ ही पीड़ितों को जलाकर उनकी पहचान भी नष्ट कर दी गयी.’’