नयीदिल्ली : भारतीय जनता पार्टी :भाजपा: की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ :डूसू: के चुनाव में शीर्ष चार में तीन पदों पर आज विजय हासिल कर कांग्रेस के भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के हाथों से डूसू का नियंत्रण छीन लिया.
एबीवीपी के उम्मीदवार अमन अवाना और उत्कर्ष चौधरी रिपीट चौधरी क्रमश: अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए जबकि राजू रावत :एबीवीपी: संयुक्त सचिव चुने गए. एनएसयूआई की करिश्मा ठाकुर सचिव चुनी गयीं. डूसू के चुनाव कल हुए थे जिसमें करीब 40 फीसदी मतदान हुआ था. एनएसयूआई को ऐसे समय झटका लगा है जब सालभर पहले ही उसने शीर्ष तीन पद जीतकर डूसू चुनाव में अपना परचम लहराया था.
इस बार चुनाव अभियान महिला सुरक्षा एवं चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पर केंद्रित रहा. इस बार चुनाव में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के लिए 12-12, सचिव के लिए 17, और संयुक्त सचिव के लिए 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. नवंबर में होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर डूसू चुनाव के नतीजे को काफी अहम माना जा रहा है.
कांग्रेस ने डूसू चुनाव के नतीजों पर मोदी के असर की बात को खारिज किया
कांग्रेस ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में नरेन्द्र मोदी के प्रभाव की बात को पूरी तरह से खारिज किया और विपक्षी दल को गुजरात और पंजाब में छात्र संघों के चुनाव में कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई को मिली सफलता की याद दिलायी.
कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर वे कह रहे हैं कि इस साल दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद :एवीबीपी: की सफलता, नरेन्द्र मोदी के प्रभाव का संकेत है और यह संकेत देता है कि भाजपा दिल्ली में विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीतेगी तो भाजपा को गुजरात और पंजाब से बिस्तर बांघने के लिए तैयार रहना चाहिए जहां हाल में विश्वविद्यालय और कालेज चुनावों में कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई को जीत मिली थी.
अहमद पार्टी के दिल्ली मामलों के प्रभारी हैं. उन्होंने कहा कि एनएसयूआई ने हाल में दस सालों के अंतराल के बाद वडोदरा में महाराजा सियाजीराव विश्वविद्यालय में संघ का चुनाव जीता था, बावजूद इसके कि वहां चुनाव प्रचार में मोदी के पोस्टरों का जम कर इस्तेमाल किया गया था.
उन्होंने कहा हमने गुजरात विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय चुनावों में भी सफलता पाई थी, जबकि मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और पंजाब में अकाली दल भाजपा की सरकार है.