28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पत्रकारों की सुरक्षा पर पीसीआई की पहल का स्वागत

गुवाहाटी: पत्रकार फोरम असम (जेएफए) ने असम में श्रमजीवी पत्रकारों की सुरक्षा के मुद्दे पर संवाद के लिए एक उपसमिति गुवाहाटी भेजने की भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) की पहल का आज स्वागत किया. पीसीआई दल राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा का आकलन करने के लिए 11 सितंबर को पत्रकारों से मिलेगा. यहां जारी एक बयान […]

गुवाहाटी: पत्रकार फोरम असम (जेएफए) ने असम में श्रमजीवी पत्रकारों की सुरक्षा के मुद्दे पर संवाद के लिए एक उपसमिति गुवाहाटी भेजने की भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) की पहल का आज स्वागत किया.

पीसीआई दल राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा का आकलन करने के लिए 11 सितंबर को पत्रकारों से मिलेगा. यहां जारी एक बयान में जेएफए ने संकेत दिया कि पूर्वोत्तर में अधिकतर मीडियाकर्मी बिना बीमा कवर के काम करते हैं और उन्हें उग्रवादियों, आत्मसमर्पण कर चुके उग्रवादियों, उग्रवाद विरोधी सरकारी सुरक्षा एजेंसियों और यहां तक विभिन्न तथाकथित सामाजिक संगठनों से धमकियां मिलती रहती हैं.

असम पत्रकारों के मारे जाने में शीर्ष पर है और पिछले 25 सालों में वहां 20 से अधिक पत्रकार मारे गए है. यह प्रवृति 1987 में असम ट्रिब्यून के स्थानीय संवाददाता के नौगांव में मारे जाने के साथ शुरु हुई थी.उसके बाद 9अगस्त, 1991 में शिवसागर में स्वतंत्रता सेनानी एवं पत्रकार सैकिया की हत्या कर दी गयी थी.

असम में मारे जाने वाले अन्य जाने माने पत्रकारों में मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं पत्रकार पराग दास, पवित्र नारायण, दीपक स्वरगियारी, मनिक देउरी, पंजा अली, नुरुल हक, रत्नेश्वर शर्मा शास्त्री, दिनेश ब्रह्मा, इंद्रमोहन हकसाम, प्रह्लाद गोवाला, बोडोसा नारजारी, मोहम्मद मुस्लेमुद्दीन, जगजीत सैकिया, अनिल मजूमदार, बी पी तालुकदार एवं रैहानुल नयूम शामिल हैं. जेएफए अध्यक्ष रुपम बरुआ ने कहा कि इन सालों में असम में सबसे अधिक पत्रकार मारे गए लेकिन अबतक एक भी हत्यारे को सजा नहीं मिली.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें