नयी दिल्ली : सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए राज्यसभा में आज विभिन्न दलों के सदस्यों ने कहा कि देश को अपनी गिरफ्त में ले रहा आर्थिक संकट इन्हीं नीतियों की देन है और इससे उबरने के लिए तत्काल ठोस उपाय होने चाहिए.
उच्च सदन में 2013-14 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों वाले ‘‘विनियोग (संख्यांक 4) विधेयक 2013 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार मुद्रास्फीति की दर में तीव्र वृद्धि, राजस्व घाटे में बढ़ोत्तरी और चालू खाते का घाटा जैसी चुनौतियों से निपटने में नाकाम साबित हुई है.
जावड़ेकर ने कहा कि राजकोषीय घाटा चार माह में अपनी सीमा पार कर चुका है और सरकार को बताना चाहिए कि इस पर नियंत्रण कैसे पाया जा सकेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि निवेश के बारे में लंबे समय तक निष्क्रिय रहने के बाद पिछले कुछ माह में तेजी से निर्णय किए जा रहे हैं.
आंकड़ों का हवाला देते हुए भाजपा नेता ने कहा कि सरकार का यह दावा बिल्कुल गलत है कि दुनिया भर में महंगाई बढ़ रही है क्योंकि भारत की मुद्रास्फीति दर से चीन, जापान, ब्रिटेन, ब्राजील आदि की मुद्रास्फीति दर बहुत ही कम है.
जावड़ेकर ने कहा कि रुपये का अवमूल्यन हो रहा है और साथ में निवेशकों का विश्वास घट रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार कहती है कि भारतीय रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में सुधार के उपाय करेगा. लेकिन सच तो यह है कि आरबीआई ने 13 बार ब्याज दरें बढ़ाई हैं. क्या मांग को रोकना ही मुद्रास्फीति को रोकने का तरीका है. सरकार आपूर्ति पर ध्यान क्यों नहीं देती.’’
भाजपा नेता ने कहा कि रुपये का अवमूल्यन हो रहा है और साथ में निवेशकों का विश्वास घट रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार कहती है कि भारतीय रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में सुधार के उपाय करेगा. लेकिन सच तो यह है कि आरबीआई ने 13 बार ब्याज दरें बढ़ाई हैं. क्या मांग को रोकना ही मुद्रास्फीति को रोकने का तरीका है. सरकार आपूर्ति पर ध्यान क्यों नहीं देती.’’
विनियोग विधेयक के साथ साथ ही उच्च सदन में महंगाई पर अल्पकालिक चर्चा भी हुई. जावड़ेकर ने कहा कि तेजी से बढ़ रही महंगाई के कारण आम आदमी का बजट पूरी तरह चौपट हो गया है.
उन्होंने आरोप लगाया कि गोदामों में रखा अनाज उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद गरीबों को नहीं दिया गया और रखे रखे खराब हो गया. अनाज खुले बाजार में न लाने की वजह से महंगाई बढ़ गई. 2003 तक देश खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर था लेकिन आज हम खाद्य तेल के 60 फीसदी आयात पर मजबूर हैं.
भारत के अलावा दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं है जहां पेट्रोल डीजल पर इतना ज्यादा कर लगता हो. पेट्रोलियम उत्पादों के दिन दूने रात चौगुने बढ़ते दामों की वजह से हर चीज महंगी हो रही है और आम आदमी के लिए समस्या बढ़ रही है.