नयी दिल्ली : केंद्र सरकार का कोई कर्मचारी यदि अपने विभाग में होने वाले किसी भ्रष्टाचार को उजागर करता है तो सरकार उसको लेकर उसके जीवन के लिए उत्पन्न खतरे की स्थिति में सुरक्षा प्रदान करेगी. देश में इस तरह की व्यवस्था पहली बार हो रही है.
सरकार द्वारा अधिसूचित एक संशोधित प्रस्ताव के मुताबिक सभी केंद्रीय मंत्रालयों में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है जो कर्मचारियों की ओर से भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वाली शिकायतों को देखेगा. मुखबिरी करने वाले ऐसे कर्मचारियों को अंग्रेजी में विसलब्लोअर की संज्ञा दी गयी है.
कार्मिक मंत्रालय द्वारा अधिसूचित जनहित में दिया गया भेद और भेद देने वाले की सुरक्षा (पीआईडीपीआई) प्रस्ताव में कहा गया है, भारत सरकार के विभागों या मंत्रालयों के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) को भी यह अधिकार होगा कि उक्त मंत्रालय या विभाग के किसी भी कर्मचारी द्वारा किए गए भ्रष्टाचार या पद के दुरुपयोग के मामले में लिखित शिकायत या सूचना प्राप्त कर सकें. अब तक सीवीसी ही ऐसी एजेंसी थी जो पीआईडीपीआई प्रस्ताव के तहत भांडाफोड़ करने वालों से शिकायत प्राप्त कर सकती थी.
सीवीसी इस मामले में संबद्ध अधिकारी से प्राप्त शिकायत की निगरानी करेगी. मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि संशोधित प्रस्ताव से शिकायतों को जल्दी निपटाने में मदद मिलेगी और अधिकारी सरकार की भ्रष्टाचार से लड़ने और खत्म करने की कोशिश के मामले में ज्यादा जिम्मेदार बनेंगे.