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डकैती केस में फंसाने पर दो एसआइ सस्पेंड

पटना : फर्जी तरीके से डकैती केस में फंसाने के आरोप में सीतामढ़ी के सब इंस्पेक्टर मिहिर कुमार, मेहसौल ओपी व सब इंस्पेक्टर अलाउद्दीन, डुमरा थाने को सस्पेंड कर दिया गया है. दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू की जायेगी. फर्जी तरीके से फंसाने के मामले में और मॉनीटरिंग सही नहीं होने के कारण […]

पटना : फर्जी तरीके से डकैती केस में फंसाने के आरोप में सीतामढ़ी के सब इंस्पेक्टर मिहिर कुमार, मेहसौल ओपी सब इंस्पेक्टर अलाउद्दीन, डुमरा थाने को सस्पेंड कर दिया गया है. दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू की जायेगी.

फर्जी तरीके से फंसाने के मामले में और मॉनीटरिंग सही नहीं होने के कारण सीतामढ़ी के एसडीपीओ आलोक कुमार के विरुद्ध भी विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. बिहार मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर आइजी, मुजफ्फरपुर पंकज दराद ने पूरे मामले की जांच की और निर्देश दिया.

आयोग के सदस्य पूर्व डीजीपी नीलमणि ने पूरे मामले की सुनवाई की. उन्होंने दोनों आरोपी सब इंस्पेक्टरों के वेतन से 50 हजार रुपये की कटौती करके पीड़ित रहमत अली उर्फ सुनील को हर्जाना देने का निर्देश पुलिस मुख्यालय को दिया है. साथ ही, डीएसपी सहित दोनों आरोपित सब इंस्पेक्टरों को 10 अक्तूबर को आयोग के समक्ष उपस्थित होकर सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखने के लिए कहा है.

सीतामढ़ी के हुसैना गांव के मो शफीक के पुत्र अशरफ अली ने बिहार मानवाधिकार आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करायी थी कि उसके भाई रहमत अली उर्फ सुनील को 11 जून, 2012 को सब इंस्पेक्टर मिहिर कुमार मो अलाउद्दीन ने मेहसौल ओपी, सीतामढ़ी में भेजने के लिए फोन किया. इसके बाद भाई वहां गया तो उसे डुमरा थाना लाया गया. वे विक्टा गाड़ी मांग रहे थे. मांग पूरा नहीं करने पर धन्नू रावत के घर में डकैती के मामले में पांच आरोपियों के साथ रहमत को गिरफ्तार कर लिया गया.

रहमत अली पर डकैती के साथ ही आर्म्स एक्ट के तहत भी सीतामढ़ी टाउन थाने में केस नंबर 405/2012, 12.06.2012 के तहत सभी को जेल भेज दिया गया. 2.07.2012 को रहमत अली के विरुद्ध कोर्ट में चाजर्शीट भी दाखिल कर दिया गया. फोन किये जाने गिरफ्तार किये जाने के दौरान अन्य टैक्सी वाले भी गवाह के रूप में मौजूद थे.

आइजी ने जांच में पूरा मामला सही पाया

आयोग ने पूरे मामले की जांच की जिम्मेवारी आइजी, मुजफ्फरपुर को सौंपी. आइजी, मुजफ्फरपुर पंकज दराद ने जांच के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा दी गयी जानकारी को सही पाया. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रहमत अली पर पूर्व से किसी प्रकार अपराध का मामला लंबित नहीं है. फोन कॉल्स के रिकार्ड जिससे रहमत अली को बुलाया गया था, सही पाया गया.

गिरफ्तार अन्य अपराधियों के साथ रहमत अली का कोई संबंध या फोन संपर्क प्रमाणित नहीं हुआ. 11.40 मिनट पर किये गये भाई को फोन वहां मौजूद टैक्सी ड्राइवरों से पूछताछ की बात सही पायी गयी.

2009 बैच के दोनों आरोपी सब इंस्पेक्टरों के खिलाफ आइजी ने सस्पेंड करते हुए विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की. साथ ही, कोर्ट में पुन: केस को खुलवा कर पूरक चाजर्शीट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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