नयी दिल्ली:प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने अश्वासन दिया है कि झारखंड के हितों को कभी नजरअंदाज नहीं किया जायेगा. भरोसा दिलाया है कि जब भी विशेष राज्य का दरजा देने के मामले में विचार किया जायेगा, तो झारखंड का जरूर खयाल रखा जायेगा. झारखंड को विशेष राज्य का दरजा देने की मांग को लेकर झामुमो […]
नयी दिल्ली:प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने अश्वासन दिया है कि झारखंड के हितों को कभी नजरअंदाज नहीं किया जायेगा. भरोसा दिलाया है कि जब भी विशेष राज्य का दरजा देने के मामले में विचार किया जायेगा, तो झारखंड का जरूर खयाल रखा जायेगा.
झारखंड को विशेष राज्य का दरजा देने की मांग को लेकर झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन सोमवार को प्रधानमंत्री से मिले. संसद भवन में उनसे करीब 20 मिनट तक बात की. श्री सोरेन ने प्रधानमंत्री से कहा कि ऐसा सुनने में आया है कि बिहार को विशेष राज्य का दरजा देने की बात चल रही है, जबकि झारखंड की मांग ठुकरायी जा रही है. इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने झारखंड के हितों का खयाल रखे जाने का भरोसा दिलाया. मुलाकात के दौरान झामुमो सांसद संजीव कुमार भी श्री सोरेन के साथ थे. उन्होंने कहा कि वह इस मामले को संसद में लगातार उठाते रहे हैं. इस बात से प्रधानमंत्री बखूबी अवगत हैं.
अन्याय में भागीदार नहीं होगा झामुमो
मुलाकात के दौरान शिबू सोरेन ने प्रधानमंत्री को तीन पन्नों का ज्ञापन सौंपा. इसमें कहा गया है कि झारखंड को छोड़ बिहार, राजस्थान व ओड़िशा को विशेष राज्य का दरजा दिया जाता है, तो यह न्याय का मखौल उड़ानेवाला और भेदभावपूर्ण निर्णय होगा. झारखंड से कम अर्हतावाले राज्यों को विशेष राज्य का दरजा दिया गया, तो उनकी पार्टी इस अन्याय में भागीदार नहीं होगी. विशेष राज्य का दरजा पाने का अगर कोई राज्य हकदार है, तो वह झारखंड है. इसलिए केंद्र सरकार इस पर अंतिम फैसला लेने से पहले हरेक राज्य की स्थिति को अच्छी तरह से परखे. केंद्र को झारखंड पर विशेष ध्यान देना चाहिए. यूपीए का हिस्सा होने के नाते उम्मीद है कि केंद्र गरीब आदिवासी राज्य झारखंड की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगा.ज्ञापन में पेंशन दायित्व बंटवारे का भी जिक्र है.
क्या कहा था योजना मंत्री ने
केंद्रीय योजना मंत्री राजीव शुक्ला ने संसद में कहा था कि झारखंड विशेष राज्य के मानदंड पर खरा नहीं उतरता, लिहाजा उसकी मांग को गत जनवरी में ही ठुकरा दिया गया है. इसकी सूचना राज्य सरकार को दी जा चुकी है.
शिबू ने रखे ये तर्क
बिहार में 0.92 फीसदी, ओड़िशा में 22.19 फीसदी, राजस्थान में 12.57 फीसदी ही आदिवासी आबादी है, जबकि झारखंड में 26.34 फीसदी आदिवासी आबादी है. ऐसे में विशेष राज्य के दरजे का हकदार झारखंड है.
झारखंड की 91 फीसदी आदिवासी आबादी पहाड़ी इलाके में निवास करती है, जहां इंफ्रास्ट्रर की कमी है.
राज्य की प्रति व्यक्ति आय, आर्थिक हालात, विशेष राज्य की मांग करनेवाले अन्य राज्यों की तुलना में खराब है.
राज्य में साक्षरता, सड़क घनत्व, पिछड़ेपन, शिशु मृत्यु दर, स्वच्छ पेयजल, शौचालय सुविधाओं की कमी है. कुपोषण जैसी समस्या है.
-मिले शिबू सोरेन, विशेष राज्य का दरजा मांगा-
-संसद भवन में 20 मिनट तक हुई बातचीत
-मनमोहन सिंह को तीन पन्नों का ज्ञापन सौंपा
-कहा, अंतिम निर्णयसे पहले राज्य की स्थिति को हर तरह से परख ले केंद्र