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खाद्य सुरक्षा विधेयक चुनावी हथकंडाः विपक्ष

नयी दिल्ली: राज्यसभा में आज भाजपा सहित विपक्षी दलों ने सरकार के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक को चुनावी हथकंडा और ‘पुरानी बोतल में नई शराब’ करार देते हुए कहा कि इस मामले में राज्यों की राय मानी जानी चाहिए थी जबकि सत्ता पक्ष ने इसे ऐतिहासिक पहल बताते हुए कहा कि देश को खाद्य सुरक्षा […]

नयी दिल्ली: राज्यसभा में आज भाजपा सहित विपक्षी दलों ने सरकार के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक को चुनावी हथकंडा और ‘पुरानी बोतल में नई शराब’ करार देते हुए कहा कि इस मामले में राज्यों की राय मानी जानी चाहिए थी जबकि सत्ता पक्ष ने इसे ऐतिहासिक पहल बताते हुए कहा कि देश को खाद्य सुरक्षा की दिशा में ले जाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि खाद्य सुरक्षा के नाम पर केंद्र ने विभिन्न मौजूदा योजनाओं की ‘‘ रिपैकेजिंग ’’ कर इससे लाभान्वित होने वाले लोगों की संख्या वास्तविक तौर पर कम कर दी है. उन्होंने सवाल किया कि प्रस्तावित विधेयक कानून बन जाने के बाद छत्तीसगढ़ जैसे वे राज्य क्या करेंगे जहां इससे बेहतर योजनाएं पहले से ही लागू हैं.

उच्च सदन में खाद्य सुरक्षा विधेयक और इस संबंध में पांच जुलाई को सरकार द्वारा लाए गए एक अध्यादेश को निरस्त करने संबंधी संकल्प पर एक साथ हुयी चर्चा में भाग लेते जेटली ने आरोप लगाया कि अध्यादेश राजनीतिक लाभ हासिल करने के उद्देश्य से लाया गया. खाद्य सुरक्षा विधेयक का समर्थन करते हुए उन्होंने अध्यादेश जारी करने के समय पर सवालिया निशान लगाया और कहा कि यह जल्दबाजी में जारी किया गया जबकि संसद का सत्र एक महीने में शुरु होने जा रहा था.

जेटली ने कहा कि पीडीएस, आईसीडीएस और मध्याह्न भोजन जैसी विभिन्न खाद्य योजनाओं में मुहैया सब्सिडी.,24,844 करोड़ रुपए है जबकि इस विधेयक में.,25,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी की बात की गयी है. उन्होंने कहा कि पीडीएस योजनाओं में जहां पात्रता की बात की गयी है, इस विधेयक में उन्हें खाद्यान्न का अधिकार मुहैया कराया गया है. इसके अलावा कोई अन्य लाभ नहीं है. उन्होंने कहा कि कई राज्यों में इससे बेहतर योजनाएं हैं और केंद्र को विशाल हृदय का परिचय देते हुए उन राज्यों को उनकी योजनाएं जारी रखने की अनुमति देनी चाहिए. इस क्रम में उन्होंने छत्तीसगढ़ का जिक्र किया.जेटली ने कहा कि योजना के संबंध में मुख्यमंत्रियों ने सुझाव दिए हैं और केंद्र को लिखा है. उन्होंने कहा कि केंद्र को लचीलापन दिखाते हुए उनकी राय पर अमल करना चाहिए था.

कांग्रेस के नरेन्द्र बुढानिया ने इस आरोप से इंकार किया कि यह विधेयक जल्दबाजी में लाया गया है. उन्होंने कहा कि किसी अन्य देश में इस तरह की व्यवस्था नहीं की गयी है. हमारे देश में इतना उत्पादन होता है कि यह सुनिश्चित हो सकता है कि देश में कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहे. उन्होंने कहा कि संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2009 के चुनावी घोषणा पत्र में खाद्य सुरक्षा के अपने वायदे को पूरा करने की दिशा में मजबूत कदम उठाया है.

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