नयी दिल्ली : अब 16 साल के अपराधियों को बालिगों की तरह ही सजा मिलेगी. बुधवार को संसदीय समिति की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने जघन्य अपराधों के आरोपी 16 से 18 साल के किशोरवय अपराधियों पर वयस्कों के लिए बने कानूनों के तहत मुकदमा चलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
इस संबंध में जानकारी देते हुए संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कैबिनेट ने किशोर न्याय ( बच्चों की देखभाल और संरक्षण ) अधिनियम में संशोधनों को मंजूरी प्रदान कर दी है जहां 16 से 18 साल आयु वर्ग के किशोर अपराधियों पर भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है , यदि वे जघन्य अपराधों के आरोपी हैं. ’’ यह विषय करीब एक पखवाडे पहले कैबिनेट के समक्ष लाया गया था लेकिन अंतिम क्षणों में इसे एजेंडा से हटा दिया गया था और यह तय किया गया था कि मंत्रियों का एक अनौपचारिक समूह इस मुद्दे की पडताल करेगा.
संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों को नामंजूर करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर आगे बढने का फैसला किया. उच्चतम न्यायालय ने भी हाल ही में कहा था कि बलात्कार, हत्या , डकैती और तेजाब हमलों जैसे अपराधों को किशोरों द्वारा अंजाम दिए जाने के मामलों में किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों की समीक्षा की जरुरत है. कैबिनेट बैठक में कई मंत्रियों ने प्रस्ताव का यह कहते हुए समर्थन किया कि बलात्कार जैसे अपराध के आरोपी व्यक्ति को वयस्क की तरह लिया जाना चाहिए. एक वरिष्ठ मंत्री ने बैठक के बाद यह जानकारी दी. ‘‘नया प्रस्तावित अधिनियम : संशोधन विधेयक : व्यवस्था करता है कि ऐसे मामले में जहां जघन्य अपराध को 16 से 18 आयु वर्ग के व्यक्ति ने अंजाम दिया है तो उसका अध्ययन किशोर न्याय बोर्ड करेगा और यह पता लगाएगा कि क्या अपराध एक ‘‘बालक’’ के तौर पर किया गया है या ‘‘वयस्क’’ के तौर पर.
बच्चों की देखभाल की सुविधा मुहैया कराने वाले सभी संस्थानों के लिए अनिवार्य पंजीकरण का भी प्रस्ताव है. प्रस्तावित विधेयक में गैरकानूनी गोद लेने , बाल देखभाल संस्थानों में कडी सजा , आतंकवादी समूहों द्वारा बच्चों का इस्तेमाल और विकलांग बच्चों के खिलाफ अपराधों जैसे नए अपराधों को भी शामिल किया गया है. सबसे महत्वपूर्ण संशोधन उपबंध सात को हटाना है जो किसी व्यक्ति द्वारा जघन्य अपराध किए जाने के लिए 21 साल से अधिक उम्र होने पर ही उसके खिलाफ वयस्क की तरह सुनवाई किए जाने से संबंधित है. संशोधित विधेयक को चालू बजट सत्र के दौरान संसद में लाया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.