नयी दिल्ली : स्वयंभू धर्मप्रचारक आसाराम से संबंधित कथित यौन हिंसा के मामले की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच के लिये आज उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी.यह जनहित याचिका चेन्नै स्थित डी आई नाथन ने दायर की है. याचिका में आसाराम के पुत्र नारायण साई के हाल के उस बयान का हवाला दिया गया है जिसमें उन्होंने नाबालिग लड़की को ‘अस्थिर चित्त’ वाली बताया है. याचिका के अनुसार किशोर न्याय कानून, 2000 पर सही तरीके से अमल नहीं हो रहा है.
याचिका में जोधपुर आश्रम परिसर में आसाराम से संबंधित इस घटना की शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है कि गृह मंत्रालय को पीड़ितों की उम्र के निर्धारण के लिये तत्काल वैज्ञानिक तरीके से परीक्षण कराने का निर्देश दिया जाना चाहिए और जांच की गहन निगरानी की जानी चाहिए ताकि साक्ष्य नष्ट नहीं किये जा सकें.
याचिका में कहा गया है कि किशोर न्याय कानून, 2000 के उद्देश्यों का बार बार उल्लंघन हो रहा है और पुलिस और राज्य प्रशासन भी उनका निरादर कर रही है. याचिका के अनुसार आरोपी भी नाबालिग पीड़ितों के निजता और जीने के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं.
याचिका के अनुसार किशोर के प्रति अपराध के मामले की पुलिस जांच की संवेदनशीलता और ऐसे अपराधों की रिपोर्ट देने वाली मीडिया भी कानून के उद्देश्य का उल्लंघन कर रही है. एक नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आरोपी 72 वर्षीय आसाराम को कल जोधपुर पुलिस के समक्ष हाजिर होना है और यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. आसाराम ने पहले के कार्यक्रमों के मद्देनजर इस मामले में जांच अधिकारी के समक्ष हाजिर होने के लिये 19 सितंबर तक का वक्त मांगा था.