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माकपा की 21वीं कांग्रेस में भी नरेंद्र मोदी ही होंगे अहम मुद्दा

विशाखापत्तनम : माकपा की 21 वीं कांग्रेस यहां कल से शुरू हो रही है, जिसमें भविष्य के गठजोडों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और देश के राजनीतिक हालात के मद्देनजर रणनीतियां स्वीकार की जाएंगी. छह दिनों तक चलने वाली बैठक में देश भर के प्रतिनिधि जुटेंगे जो गहन चर्चा के बाद राजनीतिक और रणनीतिक रुख […]

विशाखापत्तनम : माकपा की 21 वीं कांग्रेस यहां कल से शुरू हो रही है, जिसमें भविष्य के गठजोडों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और देश के राजनीतिक हालात के मद्देनजर रणनीतियां स्वीकार की जाएंगी. छह दिनों तक चलने वाली बैठक में देश भर के प्रतिनिधि जुटेंगे जो गहन चर्चा के बाद राजनीतिक और रणनीतिक रुख को अंतिम रूपदेंगे.नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा से मुकाबले पर इसमें खास चर्चा होगी.

लोगों की आकांक्षाओं पर पार्टी के खरा उतरने में नाकाम रहने की बात स्वीकार करते हुए, जैसा कि लोकसभा चुनाव में देखने को मिला, पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर वाम दलों के लौटने की गुंजाइश अब भी है.
आंध्र प्रदेश के लिए पार्टी सचिव पी मधु ने कहा, ‘‘भारतीय मतदाता किसी एक खास पार्टी के लिए अधिक समय तक वफादार नहीं रहते हैं और हालात माकपा को भविष्य में राजनीतिक गठजोडों में लौटने के संदर्भ में अपनी रणनीतियों पर दोबारा विचार करने को मजबूर कर सकता है.’’उन्होंने स्वीकार किया कि माकपा संप्रग 2 और राजग सरकारों की जन विरोधी नीतियों को भुनाने में नाकम रही, जिससे ‘आप’ जैसी पार्टियों को ऐसे मौके पर उभरने के लिए जगह मिल गयी.
मधु ने बताया, ‘‘लोग ज्यादा समय तक किसी एक खास पार्टी के समर्थक या वफादार नहीं रहते हैं. वे गतिशील हैं. हमने राजग को सत्ता में आने से रोकने के लिए संप्रग 1 का समर्थन किया. लेकिन उस हालात में हमने भाजपा को मजबूत होने की इजाजत दे दी. हमने ऐसी कुछ ताकतों को सत्ता में आने से रोकने के लिए पर्याप्त लडाई नहीं लडी. ’’

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