नयी दिल्ली : भारत के 20 प्रतिशत से कम किसान बीमित हैं जिसके कारण उन्हें मौसम की अनिश्चितताओं के मद्देनजर दुस्साहसिक कदम उठाने पड़ते हैं. यह बात एसोचैम-स्कायमेट वेदर के संयुक्त अध्ययन में कही गई. अखिल भारतीय स्तर पर सिर्फ 19 प्रतिशत किसानों के पास फसल का बीमा है. देश भर में 81 प्रतिशत किसानों को फसल बीमा के बारे में पता तक नहीं है.
इस संयुक्त अध्ययन में कहा गया कि गैर-बीमित किसानों में से 46 प्रतिशत ऐसे हैं जिन्हें बीमा के बारे में पता तो है लेकिन उनकी ऐसा करने में कोई रचि नहीं है जबकि 24 प्रतिशत से कहा कि यह सुविधा उन्हें उपलब्ध नहीं है. सिर्फ 11 प्रतिशत को लगता है कि वे बीमा के प्रीमियम का भुगतान नहीं कर सकते.
रपट में कहा गया कि करीब 3.2 करोड़ किसान देश भर में विभिन्न फसल बीमा योजनाओं से जुडे हैं. हालांकि, डिजाइन विशेष तौर पर दावा निपटाने में देरी से जुडी समस्याओं के कारण किसान, सरकारी सब्सिडी के बावजूद बीमा सुरक्षा नहीं ले रहे.
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, ‘ कार्यान्वयन और तकनीकी चुनौतियां हैं जिनका मुकाबला किया जा सकता है लेकिन इसके लिए व्यापक रणनीति, नवोन्मेषी समधान और समयबद्ध कार्यान्वयन की जरुरत होगी.’ इस समस्या को दूर करने के लिए भारत सरकार ने परिवर्तित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना :एनएआईएस: शुरु की है जो बाजार आधारित योजना और इसमे निजी क्षेत्र शामिल है.
हालिया बेमौसम बारिश से किसानों को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र ने पिछले दिनों बैंकों से कहा कि वे फसल रिण का पुनर्गठन करें. साथ ही बीमा कंपनियों को किसानों के दावे के तुरंत निपटान का भी निर्देश दिया है.