नयी दिल्ली: राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष पद पर नियुक्त करने और नये तरीके से काम करने तथा कई चुनावों में हार के बाद संगठनात्मक बदलाव की उन्हें छूट देने को लेकर अलग अलग आवाजें उठती रही हैं.कमल नाथ और दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं ने खुले तौर पर कहा है कि यह बिल्कुल सही समय है जब राहुल को शीर्ष पद पर आसीन हो जाना चाहिए. अमरिंदर सिंह और संदीप दीक्षित जैसे नेताओं ने यद्यपि सोनिया गांधी के ‘‘नेता’’ बने रहने पर जोर दिया है. राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाओं के बीच पार्टी प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने सोनिया गांधी को सबसे बेहतर नेता बताया है. संदीप दीक्षित ने सोमवार को कहा कि उनकी राय में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करने के लिए सोनिया गांधी ही एकमात्र और सर्वश्रेष्ठ नेता हैं.
राहुल गांधी के वापस आने के बाद अगले कांग्रेस अध्यक्ष के मुद्दे पर चर्चा एक बार फिर तेज होगी.राहुल गांधी के अगले महीने तक कांग्रेस अध्यक्ष बनने की चर्चाओं के बीच पार्टी ने आज इसे ‘‘गलत और अनावश्यक अटकल’’ करार देते हुए खारिज कर दिया कि उसने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र को सितम्बर के लिए टाल दिया है और इससे शीर्ष पद पर बदलाव और छह महीने के लिए टल गया है.
कांग्रेस के संचार इकाई के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘मीडिया के एक वर्ग में कांग्रेस का सत्र सितम्बर के लिए टलने की बात करने वाली खबर गलत हैं और अनावश्यक अटकल है जिसका उद्देश्य राजनीतिक भ्रम उत्पन्न करना है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के सत्र की तिथि पर जैसे ही निर्णय होगा हम सभी संबंधित लोगों को सूचित कर देंगे.’’ सुरजेवाला की यह प्रतिक्रिया यह खबर आने के बाद आयी कि कांग्रेस में शीर्ष स्तर पर परिवर्तन सितम्बर से पहले होने की संभावना नहीं है क्योंकि पार्टी आलाकमान ने कांग्रेस के सत्र को टाल दिया है जो पहले इस महीने आयोजित होने वाला था.
खबरों में एक अज्ञात नेता के हवाले से कहा गया था कि कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव करने के लिए एक विशेष सत्र टालने के लिये एक प्रस्ताव लाया गया था जो कि कांग्रेस में ‘‘एक बडे वर्ग की भावनाओं को प्रतिबिंबित करता.’’ नेता ने कहा था, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष एक विशेष सत्र आहूत करने के लिए अपनी विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल कर सकती हैं लेकिन अब ऐसी कोई योजना नहीं है.’’
खबर में कहा गया था कि राहुल के अपनी छुट्टी से जल्द वापस आने की उम्मीद है, वह चाहेंगे कि मुद्दों से अद्यतन होने के लिए उन्हें पांच छह महीने का समय मिले. ऐसी खबरें हैं कि वह भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ 19 अप्रैल को आहूत पार्टी की रैली में हिस्सा लेंगे.