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दुर्गाशक्ति नागपाल के मामले में अवमानना याचिका खारिज

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ न्यायालय की अवमानना कार्यवाही के लिये दायर याचिका आज खारिज कर दी. न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने अवमानना याचिका खारिज करते हुये कहा कि […]

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ न्यायालय की अवमानना कार्यवाही के लिये दायर याचिका आज खारिज कर दी.

न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने अवमानना याचिका खारिज करते हुये कहा कि ऐसा कोई भी तथ्य सामने नहीं आया है जिससे यह पता चलता हो कि सरकार ने जानबूझ कर न्यायालय की अवमानना की है.

अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने अवमानना याचिका में दलील दी थी कि इस अधिकारी ने तो गैरकानूनी ढांचे गिराने संबंधी शीर्ष अदालत के आदेश पर ही अमल किया था और ऐसी स्थिति में नागपाल को निलंबित करने की राज्य सरकार की कार्यवाही न्यायालय की अवमानना है.न्यायाधीशों ने सवाल किया कि राज्य सरकार की कार्रवाई अवमानना कैसे हुयी. न्यायाधीशों ने कहा कि सार्वजनिक भूमि पर गैरकानूनी तरीके से धार्मिक इमारतों के निर्माण की रोकथाम संबंधी शीर्ष अदालत के आदेश के बारे में अधिकारियों ने खुद कोई निर्णय नहीं किया है.

न्यायालय ने कहा कि अवमानना याचिका काफी जल्दी दाखिल की गयी है क्योंकि राज्य सरकार ने ही दुर्गा शक्ति नागपाल को दिये गये आरोप पत्र पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है. न्यायालय ने कहा कि इस अधिकारी द्वारा आरोप पत्र का जवाब दाखिल करने और उस पर राज्य सरकार के अंतिम निर्णय लेने के बाद ही अवमानना का मामला उठायेगा.

शर्मा ने इस याचिका में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी, कार्यकारी मुख्य सचिव आलोक रंजन और केंद्र सरकार को प्रतिवादी बनाया था. अवमानना याचिका में कहा गया था कि 28 वर्षीय नागपाल के खिलाफ कार्रवाई सार्वजनिक स्थल पर धार्मिक ढांचों के गैरकानूनी निर्माण को रोकने के शीर्ष अदालत के आदेश की अवमानना है.

शर्मा ने 2010 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की इस अधिकारी की बहाली और उसके खिलाफ सारी कार्यवाही निरस्त करने के लिये दायर जनहित याचिका 16 अगस्त को खारिज होने के बाद यह न्यायालय की अवमानना याचिका दायर की थी.

सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट को उचित प्रक्रिया का पालन किये बगैर ही नोएडा के एक गांव में निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार कराने का आदेश देने के कारण 27 जुलाई को निलंबित किया गया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके बाद दुर्गा शक्ति नागपाल को चार अगस्त को इस मामले में आरोप पत्र देकर उससे स्पष्टीकरण मांगा था.

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