नयी दिल्ली : अलग तेलंगाना राज्य के गठन का विरोध करते हुए तेदेपा ने आज कहा कि इसके कारण आज आंध्र प्रदेश जल रहा है तथा वहां संवैधानिक ढांचा विफल होने के कगार पर पहुंच गया है. पार्टी ने मांग की कि इस पूरे मुद्दे पर विचार करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित की जाये.
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान तेदेपा के वाई एस चौधरी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि आज आंध्रप्रदेश जल रहा है. इस मुद्दे पर सरकार की ओर से वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले सप्ताह संसद में जो बयान दिया था उससे स्थिति में बदलाव का कोई संकेत नहीं मिलता.
चौधरी ने कहा कि चिदंबरम के बयान से तेलंगाना के मुद्दे पर संदेह बरकरार है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में फौरन स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए क्योंकि आंध्र प्रदेश की जनता सरकार के इस फैसले पर नजर रखे हुए है.
उन्होंने कहा कि सरकार आंध्र प्रदेश के मुद्दे पर जानबूझ कर विलंब कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार जहां लोकपाल और महिला आरक्षण जैसे मुद्दों को टाल रही है वहीं खाद्य सुरक्षा विधेयक के मामले में बिना वजह जल्दबाजी दिखाई जा रही है. चौधरी ने कहा कि आंध्र प्रदेश में संवैधानिक ढांचा विफल होने के कगार पर पहुंच गया है. राज्य परिवहन निगम ने अपनी बसें चलाना बंद कर दी हैं. तेलंगाना राज्य के गठन का विरोध कर रहे लोगों ने अभी तक जो भी गांधीवादी तरीके अपनाये, उनका कोई नतीजा नहीं निकला.
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के विरोध में डॉक्टर, वकील सहित सभी प्रमुख पेशेवरों और व्यवसाइयों ने प्रदर्शनों में भाग लेना शुरु कर दिया है. उन्होंने मांग की कि इस मुद्दे पर सरकार को जेपीसी गठित कर विस्तार से विचार विमर्श करना चाहिए.
शून्यकाल खत्म होने के बाद जैसे ही उप सभापति पी जे कुरियन ने कोयला घोटाले से जुड़ी कुछ फाइलें गायब होने के मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए अन्नाद्रमुक नेता वी मैत्रेयन का नाम पुकारा, चौधरी और उनकी पार्टी के सी एम रमेश आसन के समक्ष आ कर आंध्र के मुद्दे पर अपना विरोध जताने लगे. रमेश के हाथ में एक पोस्टर भी था.
कुरियन ने तेदेपा के इन दोनों सदस्यों को अपने स्थानों पर जाने के लिए कई बार समझाया. लेकिन इन दोनों सदस्यों द्वारा नारेबाजी जारी रखने के कारण उन्होंने बैठक को भोजनावकाश के लिए दोपहर ढाई बजे तक स्थगित कर दिया.