नयी दिल्ली : पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने कहा कि इतिहास का काफी कुछ हिस्सा अभी भी खोजा नहीं गया है और मानवीय सभ्यता तथा संस्कृति की बेहतर समझ विकसित करने के लिए इस दिशा में काम किए जाने की जरुरत है.
हबीबुल्लाह ने कहा कि इतिहास इस बात का दस्तावेज है कि मानव सभ्यता प्राचीन समय में कैसी थी और सभ्यता को समझने का इतिहास से बेहतर तरीका और कोई नहीं हो सकता. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष रहे हबीबुल्लाह ने कल यहां युवा लेखक अमृतांशु पांडेय द्वारा प्राचीन भारतीय इतिहास को आधार बनाकर लिखे गए ऐतिहासिक गल्प द सील आफ सूर्या शीर्षक वाले उपन्यास का विमोचन करते हुए कहा कि इतिहास को कहानी के रुप में पिरोकर या दास्तांगोई के जरिए अधिक आकर्षक तरीके से पेश किया जा सकता है.
हबीबुल्ला ने कहा कि इतिहास बीता हुआ वह समय है जो फिर से वापस नहीं आएगा लेकिन इतिहास को आधार बनाकर लिखे जाने वाले उपन्यासों के माध्यम से हम उस बीते समय को फिर से जी सकते हैं. उन्होंने अंग्रेजी के लोकप्रिय धारावाहिक गेम आफ थ्रोन्स का जिक्र करते हुए कहा कि इस धारावाहिक में यूरोपीय इतिहास के विभिन्न पहलुओं को आधार बनाकर काल्पनिकता के रुप में पेश किया गया है और इसकी लोकप्रियता इस बात का सबूत है कि इतिहास को आकर्षक तरीके से यदि पेश किया जाए तो दर्शक या पाठक उसे अवश्य पसंद करते हैं. द सील आफ सूर्या पौराणिक इतिहास में राम और रामायण के काल से भी पहले की घटनाओं को खंगालती है जब राजा इक्षवाकु का राज था जिन्होंने भारत में राजशाही की नींव रखी थी.
इस अवसर पर ब्राडकास्ट कन्टेंट कम्प्लेंट कौंसिल (बीसीसीसी) के अध्यक्ष और सेवानिवृत्त न्यायाधीश मुकुल मुद्गिल और इंटरनेशनल कौंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट के अध्यक्ष डा अधीश सी अग्रवाल भी उपस्थित थे.