गुवाहाटी: भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी उस कथित टिप्पणी से विवाद खडा कर दिया है कि मस्जिद एवं गिरजाघर केवल इमारतें हैं और उन्हें ढहाया जा सकता है जिसे लेकर उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और असम सरकार ने उनका प्रवेश राज्य में प्रतिबंधित करने की आज चेतावनी जारी की.
स्वामी गत सप्ताह एक विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए राज्य के निजी दौरे पर थे. उन्होंने कथित तौर पर कहा कि मस्जिदें और गिरजाघर प्रार्थना करने के लिए मात्र ‘‘इमारतें’ होती हैं.उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए उन्हें ढहाने में कोई समस्या नहीं है. सउदी अरब में भी मस्जिदें ढहायी जाती हैं.’’उन्होंने आगे कहा कि ईश्वर केवल मंदिरों में निवास करते हैं.
विभिन्न संगठनों और दलों ने भाजपा नेता की टिप्पणी की निंदा की है.असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा, ‘‘उनकी टिप्पणी एक समुदाय के लिए पूरी तरह से अपमानजनक है. हम कार्रवाई करेंगे. यदि उन्होंने ऐसी बातें करना जारी रखा तो हम उनका प्रवेश असम में प्रतिबंधित कर देंगे.’’ उन्होंने आश्चर्य जताया कि स्वामी द्वारा ‘‘विवादास्पद टिप्पणियां’’ करने के बावजूद भाजपा उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है.
इस बीच असम पुलिस ने कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) की छात्र शाखा चतरा मुक्मि संग्राम समिति की शिकायत पर स्वामी के खिलाफ यहां लतासिल पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी), 298, 153 (ए) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की है.
केएमएसएस ने इसके साथ ही स्वामी के राज्य में प्रवेश पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की ‘‘ताकि असम में कोई साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न न हो.’’ भाजपा ने इस टिप्पणी से स्वयं को अलग करने का प्रयास किया और कहा कि ये टिप्पणी उनकी ओर से उनकी ‘‘निजी क्षमता’’ में की गई है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मुम्बई में कहा, ‘‘हम उनसे इस संबंध में बात करेंगे. मैंने ये टिप्पणी देखी नहीं हैं, उन्होंने यह अपनी निजी क्षमता से की होगी. यह पार्टी का रुख नहीं है.’’ अखिल असम छात्र संघ, अखिल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ और अखिल बोडोलैंड अल्पसंख्यक छात्र संघ ने अन्य छात्र संगठनों के साथ स्वामी और असम भाजपा अध्यक्ष सिद्धार्थ भट्टाचार्य के गुवाहाटी और कोकराझाड में पुतले फूंके.
भट्टाचार्य ने भी कहा कि स्वामी की टिप्पणियां ‘‘उनके निजी विचार हैं और पार्टी उनका समर्थन नहीं करती.’’ स्वामी ने आगे कहा कि भूमि सीमा समझौते के तहत बांग्लादेश को भूमि का एक हिस्सा देने को लेकर भावुक होने की जरुरत नहीं है. उन्होंने कथित तौर पर कहा है, ‘‘यदि असम के लोग इस मुद्दे पर इतने भावुक हैं तो उन्हें अपने घरों में बैठना चाहिए और आंसू बहना चाहिए.’’