मुंबई: पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक से निकाले गए पांच नाविकों के शवों के परीक्षण में पाया गया है कि उनकी मौत जलने और डूबने से हुई. गोताखोरों ने आज भी सिंधुरक्षक पर तैनात अन्य कर्मचारियों की खोज का अभियान जारी रखा.
इस पनडुब्बी पर तैनात तीन अधिकारियों समेत कुल 18 नौसैनिकों में से पांच लोगों के शव मिल सके हैं.सूत्रों ने कहा कि नौसैनिकों के शव बुरी हालत में होने की वजह से उनकी पहचान संभव नहीं है लेकिन उनके उतक ठीक स्थिति में हैं. अन्य जानकारियां फॉरेंसिक रिपोर्ट आने पर ही मिल पाएंगी.
हड्डियों के एक्सरे में बम का कोई टुकड़ा नहीं पाया गया.कल पनडुब्बी की फ्रंटलाइन में चिकित्सक के रुप में तैनात गोपाल सिंह राजपूत की शिकायत पर आपराधिक कार्रवाई संहिता की धारा 174 के तहत दुर्घटनावश मौत का एक मामला दर्ज किया गया.
सरकारी अस्पताल जे जे अस्पताल ने बरामद शवों का पोस्टमार्टम पूरा कर लिया है. एक अधिकारी ने कहा, ‘‘पहचान सुनिश्चित करने के लिए डीएनए के नमूने और दांतों के निशान ले लिए गए हैं.’’ उन्होंने कहा कि इन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा.
दुर्घटना के शिकार नौसैनिकों के परिवारों को नौसेना के परिसर में ठहराया गया है. इन परिवारों को चल रहे खोज कार्यों के हर पक्ष की जानकारी नौसेना के अधिकारियों, नाविकों और नेवी वाइव्स वेलफेयर असोसिएशन की सदस्यों की विशेष टीम (फैमिली सपोर्ट टीम) द्वारा नियमित रुप से दी जा रही है.
मंगलवार मध्यरात्रि को इस पनडुब्बी में हुए कई धमाकों के कारण इसमें आग लग गई थी. इस पनडुब्बी पर तीन अधिकारियों समेत कुल 18 नौसैनिक तैनात थे.नौसेना ने विस्फोटों के कारण का पता लगाने के लिए बोर्ड ऑफ इंक्वायरी का गठन कर दिया है, जिसके द्वारा चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दिए जाने की संभावना है. मुंबई पुलिस ने भी भारतीय नौसेना के सामने आई शांतिकाल की इस सबसे भयावह त्रासदी के संबंध में दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज कर लिया है.