नयी दिल्ली: शासन और संस्थाओं के कामकाज में व्यापक ‘निराशा और भ्रम’ की स्थिति का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि अगले साल के चुनाव एक ऐसी स्थिर सरकार को चुनने का अवसर देंगे जो सुरक्षा तथा आर्थिक विकास सुनिश्चित करेगी.
देश के 67वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने संसद और विधानसभाओं में कामकाज की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि भ्रष्टाचार बड़ी चुनौती बन गया है.
मुखर्जी ने कहा, ‘‘इस अद्भुत अवसर को गंवाना नहीं चाहिए. आगे की यात्र बुद्धिमता, साहस और दृढ़निश्चय की मांग करती है. हमें अपने मूल्यों और संस्थाओं के व्यापक पुनर्निर्माण के लिए काम करना चाहिए.’’ राष्ट्रपति के मुताबिक, ‘‘हमें समझना चाहिए कि जिम्मेदारियों के साथ अधिकार होते हैं. हमें आत्म-निरीक्षण और आत्म-संयम के गुण को फिर से खोजना चाहिए.’’
उन्होंने कहा कि ‘‘धैर्य की एक सीमा होती है’’ और आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए तमाम ‘‘जरूरी कदम’’ उठाए जाएंगे. पाकिस्तान का नाम लिए बिना राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पड़ोसियों के साथ दोस्ताना संबंध बनाने के भारत के सतत प्रयासों के बावजूद सीमा पर तनाव बना हुआ है और नियंत्रण रेखा पर संघषर्विराम का बार बार उल्लंघन हो रहा है, जानें जा रही हैं.